[2024] Medical Store या Pharmacy कैसे खोलें? नियम, कोर्स, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन
यहाँ आप समझेंगे भारत में मेडिकल स्टोर कैसे खोलें? Medical Store या Pharmacy खोलने के नियम, कोर्स, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, खर्चे से जुडी सभी जानकारी यहाँ मिलेगी।
भारत में दवाईयां बेचने से पहले कई रजिस्ट्रेशन और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। भारत के फार्मेसी और हेल्थकेयर क्षेत्रों में कॉर्पोरेट और मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों की संख्या में वृद्धि के कारण तेज़ी से विकास हुआ है।
कम पूंजी के साथ उद्यमी जो हेल्थकेयर क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए मेडिकल स्टोर खोलना एक अच्छा विकल्प है। सबसे पहले समझते हैं, मेडिकल स्टोर कितने प्रकर के होते है?
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मेडिकल स्टोर और फार्मेसी व्यवसाय की महत्वपूर्णता
मेडिकल स्टोर और फार्मेसी व्यवसाय भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र का एक अभिन्न अंग हैं। यह व्यवसाय न केवल रोगियों को आवश्यक दवाइयाँ उपलब्ध कराने में मदद करता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आधुनिक जीवनशैली और बढ़ती बीमारियों के चलते दवाओं की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। ऐसे में मेडिकल स्टोर का व्यवसाय न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है, बल्कि समाज सेवा के रूप में भी इसे देखा जा सकता है।
स्वास्थ्य सेवा में इसका योगदान
स्वास्थ्य सेवाओं की नींव में मेडिकल स्टोर की प्रमुख भूमिका होती है। अस्पतालों के साथ-साथ अलग से स्थापित मेडिकल स्टोर भी जनसामान्य के स्वास्थ्य की देखभाल में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे दवाओं की बिक्री के साथ-साथ लोगों को उचित परामर्श भी देते हैं, जिससे रोगी सही समय पर आवश्यक उपचार प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, इन स्टोर्स पर टीकाकरण, इंसुलिन जैसी विशेष दवाइयाँ, और अन्य चिकित्सकीय उत्पाद भी आसानी से उपलब्ध होते हैं, जो स्वास्थ्य सेवा को व्यापक बनाते हैं।
फार्मेसी व्यवसाय स्वास्थ्य सेवाओं का एक प्रमुख स्तंभ है, जो रोगियों को तुरंत और प्रभावी रूप से दवाइयाँ उपलब्ध कराने में सहायक है, और इसने पूरे स्वास्थ्य सेवा तंत्र को मजबूती प्रदान की है।
मेडिकल स्टोर के प्रकार (Types of Medical Stores in Hindi)
व्यक्ति द्वारा स्थापित किए जा सकने वाले मेडिकल स्टोर के प्रकार निम्नलिखित हैं:
- अस्पताल मेडिकल स्टोर – यह अस्पताल में खोला गया मेडिकल स्टोर होता है जो अस्पताल आने वाले मरीजों की ज़रूरतों को पूरा करता है।
- स्टैंडअलोन मेडिकल स्टोर – यह सबसे आम प्रकार का मेडिकल स्टोर है। ये आमतौर पर आवासीय क्षेत्रों में खोले गए छोटे या मध्यम आकार के स्टोर होते हैं।
- चेन फार्मेसी या फ्रेंचाइज़ी आउटलेट्स – ये मॉल्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में स्थित मेडिकल स्टोर होते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में शाखाएँ रखने वाली फार्मेसी चेन का हिस्सा होते हैं। ये आमतौर पर बड़े आकार के स्टोर होते हैं।
- टाउनशिप मेडिकल स्टोर – ये किसी टाउनशिप में खोले जाते हैं और शहर या गाँव में रहने वाले लोगों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
- सरकारी परिसरों में स्टोर – ये विभिन्न सरकारी नीतियों और योजनाओं के तहत खोले जाते हैं और सीधे सरकार के नियंत्रण में होते हैं। ये आमतौर पर सरकारी कार्यालयों और इमारतों के अंदर खोले जाते हैं।
अस्पताल मेडिकल स्टोर, चेन फार्मेसी और टाउनशिप मेडिकल स्टोर आमतौर पर किसी बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल या कंपनी द्वारा स्थापित किए जाते हैं। स्टैंडअलोन और टाउनशिप मेडिकल स्टोर आमतौर पर मालिक या भागीदारों द्वारा दुकान के रूप में खोले जाते हैं। मेडिकल स्टोर खोलने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को पहले यह निर्धारित करना चाहिए कि वे किस प्रकार का मेडिकल स्टोर खोलना चाहते हैं और उसके रजिस्ट्रेशन और अन्य लाइसेंस के लिए आवेदन करना चाहिए।
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए आवश्यक योग्यताएँ (Requirements for Opening a Medical Store in Hindi)
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए कुछ कानूनी और शैक्षिक योग्यताओं को पूरा करना अनिवार्य है। भारत में, दवाओं की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त फार्मासिस्ट द्वारा ही की जा सकती है, इसलिए फार्मेसी व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ प्रमुख योग्यताएँ आवश्यक हैं:
1. शैक्षिक योग्यता: फार्मेसी में डिप्लोमा (D.Pharm) या डिग्री (B.Pharm)
- डिप्लोमा इन फार्मेसी (D.Pharm): मेडिकल स्टोर खोलने के लिए सबसे बुनियादी शैक्षिक योग्यता D.Pharm है, जो एक दो साल का डिप्लोमा कोर्स है। यह कोर्स फार्मेसी के मूलभूत सिद्धांतों और दवाओं की जानकारी प्रदान करता है।
- बैचलर ऑफ फार्मेसी (B.Pharm): B.Pharm एक चार साल का डिग्री कोर्स है जो फार्मेसी के क्षेत्र में अधिक गहन ज्ञान और प्रैक्टिकल अनुभव प्रदान करता है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद, व्यक्ति फार्मासिस्ट बनने और मेडिकल स्टोर खोलने के लिए योग्य होता है।
2. फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता
- मेडिकल स्टोर खोलने के लिए, शैक्षिक योग्यता के साथ-साथ फार्मासिस्ट का राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) अनिवार्य है। यह पंजीकरण यह प्रमाणित करता है कि व्यक्ति आवश्यक योग्यता और प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है और दवाइयों की सुरक्षित और कानूनी रूप से बिक्री करने में सक्षम है।
- रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित फार्मासिस्ट को D.Pharma या B.Pharma की डिग्री के साथ अपने दस्तावेज़ जमा करने होते हैं। इस प्रक्रिया के बाद फार्मासिस्ट को एक लाइसेंस प्रदान किया जाता है, जो मेडिकल स्टोर चलाने की कानूनी अनुमति होती है।
अतिरिक्त योग्यताएँ
- फार्मासिस्ट को दवाओं और उनके प्रयोग के बारे में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए ताकि वे मरीजों को सही परामर्श दे सकें।
- फार्मेसी के संचालन के लिए आवश्यक प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाओं की भी जानकारी होना चाहिए, जैसे कि लाइसेंस प्राप्त करना, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के नियमों का पालन करना, और अन्य स्वास्थ्य से संबंधित सरकारी नियमों का पालन करना।
इन योग्यताओं और शर्तों को पूरा करने के बाद ही कोई व्यक्ति मेडिकल स्टोर खोल सकता है और दवाओं का व्यापार कर सकता है।
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए आवश्यक लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
ड्रग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया
ड्रग लाइसेंस प्राप्त करना मेडिकल स्टोर खोलने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है। यह लाइसेंस यह सुनिश्चित करता है कि आपके स्टोर पर बेची जाने वाली दवाएँ मानक और कानूनी हैं।
आवेदन: ड्रग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपको अपने राज्य के State Drug Control Department (राज्य औषधि नियंत्रण विभाग) से संपर्क करना होगा। विभाग के वेबसाइट या कार्यालय से लाइसेंस के लिए आवेदन पत्र प्राप्त करें।
आवश्यक दस्तावेज़:
फार्मासिस्ट प्रमाणपत्र: यह प्रमाणित करता है कि आपके पास एक योग्य और पंजीकृत फार्मासिस्ट है।
प्रॉपर्टी दस्तावेज़: स्टोर के स्थल के स्वामित्व का प्रमाण, जैसे कि रजिस्टर्ड किराया अनुबंध या भूमि स्वामित्व पत्र।
आधार कार्ड: पहचान के लिए आधार कार्ड की प्रति।
अन्य दस्तावेज़: आवासीय प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, और पासपोर्ट साइज फोटो आदि।
लाइसेंस शुल्क: आवेदन के साथ आवश्यक शुल्क जमा करना होता है। यह शुल्क लाइसेंस के प्रकार (रिटेल या होलसेल) और स्टोर के आकार के आधार पर भिन्न हो सकता है।
फर्म का रजिस्ट्रेशन
मेडिकल स्टोर के रूप में एक कानूनी इकाई की स्थापना के लिए, आपको निम्नलिखित प्रकार के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी:
सोल प्रोप्राइटरशिप रजिस्ट्रेशन: यदि आप एकल स्वामित्व के तहत व्यवसाय चला रहे हैं, तो आपको फर्म का रजिस्ट्रेशन करने की आवश्यकता नहीं हो सकती है। लेकिन व्यवसाय के लिए पैन कार्ड और बैंक खाता खोलना अनिवार्य है।
पार्टनरशिप रजिस्ट्रेशन: यदि आप साझेदारी के आधार पर मेडिकल स्टोर खोल रहे हैं, तो आपको रजिस्टर ऑफ फर्म्स के साथ साझेदारी फर्म का रजिस्ट्रेशन करना होगा।
एक्सप्रेस कंपनी या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी: यदि आप एक कंपनी के रूप में स्टोर चला रहे हैं, तो आपको रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ के साथ कंपनी का रजिस्ट्रेशन करना होगा।
लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप (LLP): LLP के तहत भी आप स्टोर का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। यह कंपनी और पार्टनरशिप का एक मिश्रित रूप है।
GST रजिस्ट्रेशन
आवश्यकता: यदि आपके मेडिकल स्टोर का वार्षिक टर्नओवर GST के निर्धारित सीमा (Rs.40 लाख सामान्य श्रेणी राज्यों में और Rs.20 लाख विशेष श्रेणी राज्यों में) से अधिक है, तो आपको Goods and Services Tax (GST) रजिस्ट्रेशन प्राप्त करना होगा।
आवेदन: GST रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए आप जीएसटी पोर्टल पर जाकर आवश्यक जानकारी और दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं।
दस्तावेज़: GST रजिस्ट्रेशन के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेज़ की आवश्यकता होगी:
- व्यापार के पते का प्रमाण
- पैन कार्ड
- बैंक खाता विवरण
- स्वामित्व या किराए की संपत्ति के दस्तावेज़
इन सभी रजिस्ट्रेशनों और लाइसेंसों को प्राप्त करने के बाद, आपका मेडिकल स्टोर संचालन के लिए तैयार होगा। ध्यान दें कि सभी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है ताकि आपके स्टोर की संचालन प्रक्रिया में कोई कानूनी बाधा न आए।
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए नियम और शर्तें
मेडिकल स्टोर के संचालन के दौरान, विभिन्न नियम और शर्तें लागू होती हैं जो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और अन्य संबंधित कानूनों के तहत निर्धारित की गई हैं। यहाँ प्रमुख नियम और शर्तें दी गई हैं:
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के अंतर्गत नियम
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940, भारत में दवाइयों और कॉस्मेटिक्स के निर्माण, बिक्री और वितरण को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित नियम लागू होते हैं:
- लाइसेंस की आवश्यकता: दवाइयों की बिक्री के लिए ड्रग लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपके पास एक पंजीकृत और योग्य फार्मासिस्ट होना चाहिए।
- दवाइयों की गुणवत्ता: सभी दवाइयों की गुणवत्ता मानक और अनुमोदित होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि दवाइयों की गुणवत्ता मानक है, नियमित जांच और निरीक्षण किया जाता है।
- वर्णन और लेबलिंग: दवाइयों पर सही लेबलिंग और विवरण होना आवश्यक है, जिसमें दवा के नाम, मैन्युफैक्चरर की जानकारी, और उपयोग की विधि शामिल हैं।
फार्मासिस्ट की उपस्थिति और संचालन के लिए आवश्यक मानदंड
- फार्मासिस्ट की उपस्थिति: मेडिकल स्टोर पर दवाइयों की बिक्री और संचालन के दौरान एक योग्य और पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य है। रिटेल स्टोर में फार्मासिस्ट को दवाइयों की बिक्री के समय उपस्थित रहना होता है।
- फार्मासिस्ट का पंजीकरण: फार्मासिस्ट को स्थानीय फार्मेसी काउंसिल से पंजीकरण प्राप्त करना आवश्यक है और इसके प्रमाण पत्र को स्टोर में प्रदर्शित करना होता है।
- प्रोफेशनल कंडक्ट: फार्मासिस्ट को पेशेवर आचार संहिता का पालन करना होता है और दवाइयों के वितरण में सावधानी बरतनी होती है।
3. दवाइयों की खरीद और स्टॉक प्रबंधन के नियम
- खरीद प्रक्रिया: दवाइयों की खरीद को प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से किया जाना चाहिए। दवाइयों के खरीद की रिकॉर्डिंग और इन्वेंट्री प्रबंधन के लिए उचित दस्तावेज़ तैयार किया जाना चाहिए।
- स्टॉक प्रबंधन: दवाइयों का सही तरीके से स्टॉक प्रबंधन किया जाना चाहिए। दवाइयों की समाप्ति तिथि की निगरानी करनी होती है और expired या damaged दवाइयों को ठीक से नष्ट किया जाना चाहिए।
- भंडारण: दवाइयों को सही तापमान और आद्रता पर स्टोर करना अनिवार्य है। विशेष रूप से, जिन दवाइयों को रेफ्रिजरेशन की आवश्यकता होती है, उन्हें उचित तापमान पर स्टोर किया जाना चाहिए।
संरक्षित दवाइयों की बिक्री के लिए नियम (Rx और OTC दवाएँ)
Rx दवाएँ (Prescription Medicines):
- Rx दवाइयों की बिक्री के लिए एक वैध डॉक्टरी पर्ची की आवश्यकता होती है। बिना पर्ची के इन दवाइयों को नहीं बेचा जा सकता है।
- पर्ची की एक प्रति को स्टोर में रिकॉर्ड के रूप में रखना आवश्यक है।
OTC दवाएँ (Over-the-Counter Medicines):
- OTC दवाइयाँ बिना डॉक्टरी पर्ची के बेची जा सकती हैं। लेकिन, इन दवाइयों की बिक्री और प्रबंधन में सावधानी बरतनी होती है।
- OTC दवाइयों पर स्पष्ट रूप से उपयोग निर्देश और चेतावनियाँ दी जानी चाहिए।
इन नियमों और शर्तों का पालन करके, आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका मेडिकल स्टोर कानूनी और सुरक्षित तरीके से संचालित हो। किसी भी प्रकार की असंगति या उल्लंघन की स्थिति में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, इसलिए नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए आवश्यक कोर्स
भारत में मेडिकल स्टोर खोलने के लिए कुछ विशेष शैक्षिक योग्यताएं और कोर्स उपलब्ध हैं। ये कोर्स न केवल आपके व्यवसाय को शुरू करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं, बल्कि दवाओं की बिक्री और प्रबंधन में आपकी क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
डिप्लोमा इन फार्मेसी (D.Pharm)
- अवधि: 2 वर्ष
- विवरण: यह कोर्स फार्मास्यूटिकल साइंस के बुनियादी सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें दवाओं की क्रियावली, निर्माण, वितरण और प्रबंधन की जानकारी दी जाती है।
- उपयोगिता: डी.फार्मा की डिग्री प्राप्त करने वाले व्यक्ति मेडिकल स्टोर में बतौर फार्मासिस्ट काम कर सकते हैं।
बैचलर ऑफ फार्मेसी (B.Pharm)
- अवधि: 4 वर्ष
- विवरण: यह कोर्स फार्मास्यूटिकल साइंस में एक गहन शिक्षा प्रदान करता है। इसमें दवाओं के अनुसंधान, विकास और प्रबंधन पर ध्यान दिया जाता है।
- बी.फार्मा की डिग्री प्राप्त करने वाले व्यक्ति मेडिकल स्टोर के प्रबंधक या फार्मासिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं।
मास्टर ऑफ फार्मेसी (M.Pharm)
- अवधि: 2 वर्ष (पोस्टग्रेजुएट)
- विवरण: यह कोर्स फार्मास्यूटिकल साइंस के विशेष क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान करता है, जैसे कि फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, आदि।
- एम.फार्म की डिग्री प्राप्त करने वाले व्यक्ति मेडिकल स्टोर के प्रबंधक, फार्मासिस्ट, या शोधकर्ता के रूप में काम कर सकते हैं।
डॉक्टर ऑफ फार्मेसी (Pharm.D)
- अवधि: 6 वर्ष
- विवरण: यह कोर्स फार्मास्यूटिकल साइंस में सबसे उन्नत डिग्री है, जो चिकित्सीय और अनुसंधान क्षमताओं पर जोर देता है।
- Pharm.D की डिग्री प्राप्त करने वाले व्यक्ति मेडिकल स्टोर के प्रबंधक, फार्मासिस्ट, शोधकर्ता, या शिक्षक के रूप में काम कर सकते हैं।
अन्य सहायक कोर्स
सेल्स और मार्केटिंग में डिप्लोमा/सर्टिफिकेट– यह कोर्स मेडिकल स्टोर के विपणन और बिक्री रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह आपको बिक्री बढ़ाने और ग्राहक संबंध प्रबंधन में मदद कर सकता है।
अकाउंटिंग और फाइनेंस में डिप्लोमा/सर्टिफिकेट– यह कोर्स वित्तीय प्रबंधन, बहीखाता, और वित्तीय रिपोर्टिंग के कौशल प्रदान करता है। यह आपके मेडिकल स्टोर के वित्तीय प्रबंधन में सहायक हो सकता है।
कंप्यूटर कोर्स– यह कोर्स इन्वेंट्री प्रबंधन, डेटा रिकॉर्डिंग, और अन्य कंप्यूटर आधारित कार्यों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करता है। यह आपके मेडिकल स्टोर के संचालन को व्यवस्थित करने में मदद कर सकता है।
मेडिकल स्टोर खोलने का खर्चा
मेडिकल स्टोर खोलने के खर्चे का अनुमान कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे शहर का आकार, दुकान का आकार, स्टॉक की मात्रा, और अन्य सुविधाएं। यहां एक अनुमानित खर्चा विवरण दिया गया है जो आपको एक शुरुआती परिदृश्य प्रदान कर सकता है:
खर्च की मद | न्यूनतम | अधिकतम |
---|---|---|
दुकान का किराया | ₹10,000 | ₹50,000 |
स्टॉक | ₹2,00,000 | ₹5,00,000 |
फर्नीचर और उपकरण | ₹50,000 | ₹1,00,000 |
लाइसेंस और पंजीकरण | ₹10,000 | ₹20,000 |
विज्ञापन और मार्केटिंग | ₹5,000 | ₹10,000 |
कर्मचारियों का वेतन | ₹20,000 | ₹50,000 |
शहर के आधार पर किराया बदल सकता है। बड़े शहरों में उच्च किराया हो सकता है जबकि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में कम हो सकता है।
स्टॉक की लागत आपकी दुकान के आकार और आप कितनी दवाइयां रखना चाहते हैं, इस पर निर्भर करती है।
फर्नीचर और उपकरण– इसमें रैक, फ्रिज, काउंटर, और अन्य आवश्यक फर्नीचर और उपकरण शामिल हैं।
लाइसेंस और पंजीकरण– इसमें ड्रग लाइसेंस, GST रजिस्ट्रेशन, और अन्य आवश्यक लाइसेंस और पंजीकरण की लागत शामिल है।
विज्ञापन और मार्केटिंग– इसमें शुरुआती विज्ञापन, मार्केटिंग और प्रचार सामग्री शामिल है।
कर्मचारियों का वेतन– कर्मचारियों की संख्या और उनके वेतन के आधार पर यह खर्चा बदल सकता है।
कुल अनुमानित खर्चा
न्यूनतम | अधिकतम |
---|---|
₹3,00,000 | ₹8,00,000 |
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmacy Council of India – PCI) के बारे में जानकारी
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय है, जिसे 1948 में फार्मेसी अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था। PCI का उद्देश्य फार्मेसी शिक्षा और पेशेवर मानकों को प्रबंधित और विनियमित करना है।
PCI की भूमिकाएँ
फार्मेसी शिक्षा का विनियमन
- पाठ्यक्रमों का अनुमोदन
- संस्थानों का निरीक्षण
- फार्मेसी शिक्षकों का पंजीकरण
फार्मासिस्टों का पंजीकरण
- योग्य फार्मासिस्टों का पंजीकरण
- पंजीकरण की प्रक्रिया का प्रबंधन
पेशेवर आचार संहिता का रखरखाव
- आचार संहिता का निर्धारण
- आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करना
- निरंतर शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन
वेबसाइट: PCI की वेबसाइट
चूंकि भारत में मेडिकल क्षेत्र बढ़ रहा है, इसलिए मेडिकल स्टोर खोलना एक अच्छा विकल्प है। मेडिकल स्टोर खोलने के लिए, व्यक्ति को भागीदारी, प्रोपराइटरशिप, एलएलपी या कंपनी पंजीकरण प्राप्त करना चाहिए। स्टोर के पंजीकरण के बाद, व्यक्ति को व्यवसाय को सुचारु रूप से चलाने के लिए अनिवार्य रूप से अन्य लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने चाहिए, जैसे ड्रग लाइसेंस, दुकान और स्थापना लाइसेंस और फार्मेसी लाइसेंस। व्यक्ति को दवाओं और ड्रग्स की बिक्री का व्यवसाय चलाने के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, सीडीएससीओ और एसडीएससीओ के नियमों और विनियमों के अनुसार स्टोर की आवश्यकताओं का भी अनुपालन करना चाहिए।
Medical Store कैसे खोलें? FAQ’s
मेडिकल स्टोर के कितने प्रकार हैं?
दो प्रमुख प्रकार के मेडिकल स्टोर हैं: खुदरा और थोक। खुदरा मेडिकल स्टोर उपभोक्ताओं को सीधे दवाएं और अन्य मेडिकल आपूर्ति बेचते हैं, जबकि थोक मेडिकल स्टोर दवाएं और अन्य मेडिकल आपूर्ति अन्य व्यवसायों, जैसे कि फार्मेसियों, अस्पतालों और क्लीनिकों को बेचते हैं।
मेडिकल स्टोर खोलने के लिए आवश्यकताएं क्या हैं?
मेडिकल स्टोर खोलने की आवश्यकताएँ क्षेत्र के आधार पर भिन्न होती हैं। हालाँकि, कुछ सामान्य आवश्यकताओं में शामिल हैं:
वैध फार्मेसी लाइसेंस
योग्य फार्मासिस्ट की उपस्थिति
स्टोर के लिए उपयुक्त स्थान
दवाओं और अन्य मेडिकल आपूर्ति के लिए पर्याप्त संग्रहण सुविधाएं
इन्वेंटरी और बिक्री की ट्रैकिंग के लिए एक सिस्टम
मेडिकल स्टोर खोलने में शामिल कदम क्या हैं?
मेडिकल स्टोर खोलने में शामिल आम चरणों में शामिल हैं:
स्थानीय समुदाय की जरूरतों की पहचान के लिए बाजार अनुसंधान करना
एक बिज़नेस प्लान विकसित करना
आवश्यक लाइसेंस और परमिट प्राप्त करना
स्टोर के लिए एक उपयुक्त स्थान खोजना
स्टोर का Renovating और equipping करना
योग्य कर्मचारियों की भर्ती करना
इन्वेंटरी को ऑर्डर करना
स्टोर का मार्केटिंग और प्रचार करना
मेडिकल स्टोर चलाने की चुनौतियाँ क्या हैं?
मेडिकल स्टोर चलाने की कुछ चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:
अन्य फार्मेसियों से कम्पटीशन
विस्तृत श्रेणी की इन्वेंटरी बनाए रखने की आवश्यकता
सुनिश्चित करना कि सभी दवाएँ और मेडिकल आपूर्ति सही तरीके से संग्रहीत और संभाली जाएँ
सरकारी रेगुलेशन का अनुपालन करना