NavIC GPS: जानें क्या है, कैसे काम करता है और 5G स्मार्टफोन में इसका सपोर्ट कैसे चेक करें
NavIC (Navigation with Indian Constellation) भारत की स्वदेशी क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विकसित किया है। NavIC GPS का उद्देश्य भारत और आसपास के क्षेत्रों में सटीक पोजिशनिंग, नेविगेशन, और समय की जानकारी (PNT) उपलब्ध कराना है, जिससे देश विदेशी GPS प्रणालियों पर निर्भर न रहे। इस प्रणाली का पूर्व नाम Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS) था, जिसे बाद में NavIC के नाम से जाना गया।
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NavIC GPS क्या है?
NavIC, जिसका पूरा नाम “Navigation with Indian Constellation” है, भारत की अपनी क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट प्रणाली है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विकसित किया है ताकि भारत और इसके आसपास के क्षेत्रों में सटीक पोजिशनिंग, नेविगेशन, और टाइमिंग (PNT) सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। NavIC का मुख्य उद्देश्य भारत की नेविगेशन आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करना और देश की सुरक्षा, परिवहन, और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सटीक डेटा उपलब्ध कराना है।
ISRO द्वारा निर्मित स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली
NavIC को ISRO ने स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है, जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। अन्य वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों (जैसे GPS, जो कि अमेरिका द्वारा संचालित है) पर निर्भरता को कम करने के लिए NavIC एक प्रभावी विकल्प है। यह प्रणाली विशेष रूप से भारत और इसके आसपास के क्षेत्रों के लिए डिजाइन की गई है, और यह कई आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जिनमें सटीकता, क्षेत्रीय कवरेज, और विश्वसनीयता शामिल हैं।
NavIC का पूर्व नाम: Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS)
NavIC को पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के नाम से जाना जाता था। इस प्रणाली का नाम बदलकर NavIC रखा गया, जो इसे भारतीय संस्कृति और पहचान के साथ जोड़ता है। NavIC का अर्थ है “नौवहन”, जो इसकी नेविगेशन क्षमताओं को दर्शाता है। इसका नाम बदलकर NavIC रखने का उद्देश्य न केवल इसकी भारतीय पहचान को दर्शाना था, बल्कि इसे आम लोगों के लिए भी समझने में आसान बनाना था।
NavIC का उद्देश्य मुख्य रूप से भारत में सटीक और विश्वसनीय नेविगेशन सेवाओं को सुनिश्चित करना है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग बढ़े और भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बने।
NavIC के सेटेलाइट्स और ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क
NavIC प्रणाली में कुल सात उपग्रह शामिल हैं, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सटीक और विश्वसनीय नेविगेशन सेवाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इन सात उपग्रहों में तीन भू-स्थिर (Geostationary) और चार भू-समकालिक (Geosynchronous) उपग्रह हैं:
- भू-स्थिर उपग्रह: तीन उपग्रह भू-स्थिर कक्षा में हैं, जो पृथ्वी की सतह से एक निश्चित स्थान पर स्थित रहते हैं। ये उपग्रह भारत के ऊपर तीन बिंदुओं पर स्थित हैं:
- 32.5° पूर्व
- 83° पूर्व
- 129.5° पूर्व इन उपग्रहों का मुख्य कार्य भारतीय क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्र के लिए स्थिर और सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करना है।
- भू-समकालिक उपग्रह: चार उपग्रह भू-समकालिक कक्षा में हैं, जो पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं, लेकिन भारतीय क्षेत्र के ऊपर ही बार-बार आते हैं। ये उपग्रह दो कक्षीय विमानों में स्थित हैं, जो 55° पूर्व और 111.75° पूर्व अक्षांश पर भूमध्य रेखा को पार करते हैं। इन उपग्रहों का झुकाव 29° है, जिससे ये भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थिर सिग्नल कवरेज प्रदान करते हैं।
NavIC के इन उपग्रहों की व्यवस्था से सटीक और विश्वसनीय सिग्नल कवरेज सुनिश्चित होता है, जिससे पोजिशनिंग और टाइमिंग की जानकारी को सटीकता के साथ प्राप्त किया जा सकता है।
इन सैटेलाइट्स के ऑर्बिट में स्थान और उनके कार्य
NavIC के इन सात उपग्रहों की भूमिकाएँ मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्यों के लिए होती हैं:
- सटीक पोजिशनिंग: ये उपग्रह भारत और इसके आसपास के 1500 किमी के क्षेत्र में सटीक पोजिशनिंग सेवाएं प्रदान करते हैं।
- सामरिक और नागरिक उपयोग: NavIC दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है—स्टैंडर्ड पोजिशन सर्विस (SPS), जो नागरिकों के लिए है, और रिस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS), जो सामरिक उपयोगकर्ताओं के लिए है।
- विकट मौसम और कठिन भूभाग में कवरेज: NavIC उपग्रहों के फ्रीक्वेंसी बैंड (L5 और S) का संयोजन कठिन मौसम और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी कवरेज को सशक्त बनाता है।
ग्राउंड नेटवर्क की संरचना
NavIC प्रणाली के ग्राउंड नेटवर्क को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह उपग्रहों के साथ समन्वय कर सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान कर सके। इसमें निम्नलिखित मुख्य घटक शामिल हैं:
- कंट्रोल सेंटर: यह NavIC प्रणाली का मुख्य नियंत्रण बिंदु है, जो उपग्रहों के संचालन और सिग्नल्स की मॉनिटरिंग करता है।
- प्रीसाइज टाइमिंग सुविधा: यह केंद्र सटीक समय संकेत प्रदान करता है, जो नेविगेशन और संचार सेवाओं में समय की उच्च सटीकता के लिए आवश्यक होता है।
- रेंज और इंटेग्रिटी मॉनिटरिंग स्टेशन: ये स्टेशन भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और वे सिग्नल की गुणवत्ता, सटीकता, और सिग्नल में किसी भी विकृति की निगरानी करते हैं।
- दो-तरफा रेंजिंग स्टेशन: ये स्टेशन सिग्नल की दूरी और दिशा को मापते हैं, जिससे NavIC प्रणाली सटीक पोजिशनिंग डेटा प्रदान कर सके।
NavIC का यह ग्राउंड नेटवर्क उपग्रहों के साथ मिलकर काम करता है, जिससे भारत में अत्यंत सटीक और विश्वसनीय नेविगेशन सेवाएं मिलती हैं।
NavIC के दो मुख्य सेवाएँ
NavIC प्रणाली दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करती है, जो इसके विभिन्न उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप हैं:
1. स्टैंडर्ड पोजिशन सर्विस (SPS)
स्टैंडर्ड पोजिशन सर्विस (SPS) NavIC की सामान्य उपयोगकर्ताओं के लिए सेवा है। यह सेवा नागरिक, व्यावसायिक, और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। SPS सेवा का मुख्य उद्देश्य पोजिशनिंग, नेविगेशन, और टाइमिंग डेटा को उन उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाना है, जिन्हें उच्च सटीकता की आवश्यकता होती है लेकिन जिनके कार्य सामरिक दृष्टिकोण से संवेदनशील नहीं होते हैं।
NavIC SPS सेवा निम्नलिखित क्षेत्रों में उपयोग की जाती है:
- सड़क, रेल, हवाई और समुद्री परिवहन
- व्यक्तिगत नेविगेशन उपकरण जैसे मोबाइल फोन और GPS डिवाइस
- स्थान-आधारित सेवाएं जैसे लोकेशन ट्रैकिंग
- सर्वेक्षण और मानचित्रण के लिए
2. रिस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS)
रिस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS) NavIC की सुरक्षित सेवा है, जो केवल सामरिक और विशेष उपयोगकर्ताओं के लिए है, जैसे कि रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ। RS सेवा का उद्देश्य संवेदनशील कार्यों में सटीक और सुरक्षित पोजिशनिंग और नेविगेशन डेटा प्रदान करना है, ताकि सामरिक गतिविधियों के दौरान विश्वसनीय डेटा उपलब्ध हो सके। RS सेवा में सुरक्षित चैनलों का उपयोग किया जाता है, जो इसे सामान्य नागरिक सेवाओं से अधिक सुरक्षित बनाते हैं।
दोनों सेवाओं का L5 और S बैंड्स में प्रसारण
NavIC की SPS और RS सेवाएं L5 (1176.45 MHz) और S (2498.028 MHz) फ्रीक्वेंसी बैंड्स में प्रसारित की जाती हैं।
- L5 बैंड: यह उच्च सटीकता और बेहतर कवरेज प्रदान करता है, जिससे अधिक चुनौतीपूर्ण स्थानों (जैसे घने जंगल, पहाड़ी क्षेत्र) में भी मजबूत सिग्नल मिलता है।
- S बैंड: यह क्षेत्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए रेडियो सिग्नलिंग का एक भरोसेमंद विकल्प है और NavIC के सिग्नल को अधिक स्थिर और मजबूत बनाता है, जिससे खराब मौसम और अन्य बाधाओं में भी उच्च गुणवत्ता का डेटा मिलता है।
NavIC का क्षेत्रीय कवरेज
NavIC का कवरेज विशेष रूप से भारत और इसके आसपास के 1500 किमी तक के क्षेत्र के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह भारत के अंदर और इसके सीमावर्ती क्षेत्रों में सटीक नेविगेशन डेटा प्रदान करता है, जिससे यह क्षेत्रीय उपयोग के लिए अनुकूल बनता है।
NavIC के इस क्षेत्रीय कवरेज से भारत को वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों पर निर्भरता को कम करने का लाभ मिलता है, और भारत के सीमावर्ती और सामरिक क्षेत्रों में सटीक पोजिशनिंग डेटा सुनिश्चित किया जा सकता है।
NavIC: भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम क्यों बनाया गया?
कारगिल युद्ध का सबक
1999 के कारगिल युद्ध ने भारत को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की थी, तो भारतीय सेना को उस क्षेत्र के लिए सटीक भौगोलिक जानकारी की सख्त जरूरत थी। इस जानकारी के लिए अमेरिकी जीपीएस सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ा। लेकिन अमेरिका ने भारत को इस जानकारी तक पहुंचने से मना कर दिया। इस घटना ने भारत को यह एहसास कराया कि किसी अन्य देश पर निर्भर रहना कितना खतरनाक हो सकता है, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में।
स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम की आवश्यकता
कारगिल युद्ध के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भारत को अपने स्वयं का नेविगेशन सिस्टम विकसित करना होगा। एक स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम भारत को कई फायदे प्रदान करता है, जैसे:
- आत्मनिर्भरता: भारत को किसी अन्य देश पर निर्भर रहने से मुक्ति मिलती है।
- सुरक्षा: सैन्य अभियानों के लिए सटीक और विश्वसनीय नेविगेशन डेटा प्रदान करता है।
- आर्थिक विकास: विभिन्न क्षेत्रों जैसे परिवहन, कृषि और आपदा प्रबंधन में इसका उपयोग किया जा सकता है।
NavIC का विकास
NavIC (Navigation with Indian Constellation) को इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए विकसित किया गया था। इस परियोजना की शुरुआत 2007 में हुई थी और इसे 2012 तक पूरी तरह कार्यात्मक होना था, लेकिन तकनीकी चुनौतियों के कारण इसमें कुछ देरी हुई।
NavIC के नए सिग्नल्स और GNSS के साथ इंटरऑपरेबिलिटी
L1 बैंड (1575.42 MHz) में नया नागरिक सिग्नल
NavIC प्रणाली में हाल ही में L1 बैंड (1575.42 MHz) में एक नया नागरिक सिग्नल जोड़ा गया है। यह नया सिग्नल इसरो द्वारा NavIC की कार्यक्षमता और उपयोगिता को और अधिक बढ़ाने के लिए शामिल किया गया है। L1 बैंड पहले से ही व्यापक रूप से वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों जैसे GPS में उपयोग होता है, जिससे NavIC का यह सिग्नल अन्य GNSS सेवाओं के साथ अधिक आसानी से इंटरऑपरेबल बन जाता है। L1 सिग्नल को जोड़ने से NavIC का उपयोग और अधिक सुलभ हो गया है, और मोबाइल उपकरणों एवं अन्य नागरिक उपकरणों के लिए NavIC डेटा का उपयोग करना आसान हो गया है।
अन्य वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों (GPS, Glonass, Galileo, BeiDou) के साथ सिग्नल इंटरऑपरेबिलिटी
NavIC को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह अन्य अंतरराष्ट्रीय GNSS (Global Navigation Satellite Systems) प्रणालियों के साथ इंटरऑपरेबल हो। इसका अर्थ यह है कि NavIC के सिग्नल्स को अन्य प्रणालियों जैसे GPS (अमेरिका), Glonass (रूस), Galileo (यूरोप) और BeiDou (चीन) के सिग्नल्स के साथ एकीकृत रूप से उपयोग किया जा सकता है। इससे उपयोगकर्ताओं को विभिन्न नेविगेशन प्रणालियों से सिग्नल प्राप्त करने का लाभ मिलता है, जिससे नेविगेशन डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ती है, खासकर तब जब उपयोगकर्ता कठिन भूभाग में होते हैं या मजबूत और स्थिर सिग्नल की आवश्यकता होती है।
NavIC की इस इंटरऑपरेबिलिटी से भारत और इसके पड़ोसी क्षेत्रों में GNSS की कवरेज और सेवाओं को मजबूती मिलती है, और यह सभी प्रकार के उपकरणों में एकीकृत नेविगेशन अनुभव प्रदान करता है।
NavIC के विभिन्न एप्लीकेशन (Various Applications of NavIC)
NavIC का उपयोग कई प्रमुख क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिससे यह भारत की प्रमुख नेविगेशन प्रणाली बन गया है। इसके प्रमुख अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:
परिवहन (स्थलीय, हवाई और समुद्री)
NavIC का उपयोग परिवहन के विभिन्न साधनों जैसे सड़क, हवाई, और समुद्री परिवहन में पोजिशनिंग और नेविगेशन डेटा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। यह प्रणाली चालकों को सटीक लोकेशन डेटा देकर यात्रा को सुरक्षित और कुशल बनाती है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां अंतरराष्ट्रीय नेविगेशन प्रणालियों का कवरेज सीमित हो सकता है।
लोकेशन आधारित सेवाएँ और व्यक्तिगत मोबिलिटी
NavIC का उपयोग व्यक्तिगत मोबिलिटी और लोकेशन-आधारित सेवाओं जैसे कि रियल-टाइम ट्रैकिंग, जीपीएस आधारित एप्लिकेशंस, और मोबाइल फोन के लिए किया जाता है। यह सेवा नागरिक उपयोगकर्ताओं को सटीक और तेज पोजिशनिंग डेटा प्रदान करती है, जिससे लोकेशन ट्रैकिंग, नेविगेशन एप्लिकेशंस, और अन्य व्यक्तिगत नेविगेशन एप्लिकेशंस में सहायता मिलती है।
Resource Monitoring, Surveying and Geodesy
NavIC का उपयोग विभिन्न संसाधनों की निगरानी और प्रबंधन के लिए किया जा रहा है। इसका उपयोग कृषि, पर्यावरण, और भौगोलिक सर्वेक्षण के क्षेत्रों में भी किया जा रहा है। इसके अलावा, भूगणित (Geodesy) में NavIC का उपयोग सटीक स्थानों का निर्धारण करने और क्षेत्रीय मानचित्रण में किया जाता है।
टाइम डिसेमिनेशन और सिंक्रोनाइजेशन
NavIC पोजिशनिंग के साथ-साथ अत्यधिक सटीक समय डेटा भी प्रदान करता है, जो विभिन्न संचार और नेटवर्किंग प्रणालियों में समय के समन्वय (synchronization) के लिए आवश्यक है। बैंकिंग, टेलीकॉम, और अन्य महत्वपूर्ण नेटवर्क के लिए समय की सटीकता अत्यंत महत्वपूर्ण है, और NavIC इस आवश्यकता को पूरी तरह से पूरा करता है।
सुरक्षा से जुड़े अलर्ट का प्रसारण (Safety-of-life alert)
NavIC का एक और महत्वपूर्ण अनुप्रयोग सुरक्षा-संबंधित अलर्ट को प्रसारित करना है। इस सुविधा का उपयोग आपातकालीन स्थितियों में किया जा सकता है, जहां लोगों को तुरंत सचेत करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, समुद्री या वायु परिवहन में आपातकालीन संकेतों का प्रसारण NavIC द्वारा किया जा सकता है, जिससे लोगों को संकट की स्थिति में सहायता मिल सके।
NavIC का इन विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी उपयोग भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है और इसे भविष्य में और अधिक उन्नत बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
NavIC के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानक
NavIC प्रणाली ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाया है, जिससे इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है और यह विभिन्न तकनीकी और उपयोगकर्ता आवश्यकताओं के अनुरूप काम करती है। कुछ प्रमुख मानकों की सूची निम्नलिखित है:
पोजिशनिंग सर्विस रिसीवर डेटा इंटरफेस: ISO 19116:2016
ISO 19116:2016 मानक पोजिशनिंग सर्विस रिसीवर डेटा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है। यह मानक NavIC के साथ संगतता सुनिश्चित करता है और पोजिशनिंग डेटा के आदान-प्रदान के लिए एक सामान्य ढांचा प्रदान करता है। इससे NavIC उपयोगकर्ताओं के लिए डेटा की गुणवत्ता और सटीकता बढ़ती है।
रिसीवर इंटरफेस: NMEA 0183, v4.10 से आगे
NavIC प्रणाली का डेटा संचार NMEA 0183 v4.10 और इसके बाद के संस्करणों के साथ संगत है। यह मानक समुद्री और अन्य नेविगेशन उपकरणों के लिए एक सामान्य डेटा प्रोटोकॉल है, जो NavIC के सिग्नल को विविध उपकरणों के साथ सहज रूप से इंटरफ़ेस करने में मदद करता है।
नेविगेशन डेटा लॉगिंग: RINEX v3.03 से आगे
NavIC के द्वारा भेजे गए नेविगेशन डेटा को RINEX v3.03 और इसके बाद के संस्करणों में लॉग किया जा सकता है। RINEX (Receiver Independent Exchange Format) डेटा लॉगिंग के लिए एक मानक है, जो GNSS डेटा के संग्रहण और विश्लेषण में उपयोगी होता है।
वाहन लोकेशन ट्रैकिंग, कृषि ड्रोन्स, और डिफरेंशियल GNSS के लिए भारत में निर्धारित मानक
भारत में वाहन लोकेशन ट्रैकिंग, कृषि ड्रोन्स, और डिफरेंशियल GNSS के लिए विशेष मानक बनाए गए हैं, जो NavIC के उपयोग को सुगम और सटीक बनाते हैं। उदाहरण के लिए, कृषि ड्रोन्स के लिए IS 17799:2022 और वाहन ट्रैकिंग के लिए IS 16833:2018 मानक लागू किए गए हैं।
NavIC सपोर्ट के लिए LTE में 3GPP TS 36.171 रिलीस 16
3GPP TS 36.171 रिलीस 16 मानक LTE नेटवर्क में NavIC समर्थन को परिभाषित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि LTE नेटवर्क के माध्यम से NavIC सिग्नल प्राप्त किए जा सकते हैं, जिससे बेहतर नेविगेशन सेवाएँ प्रदान की जा सकती हैं, विशेष रूप से मोबाइल उपकरणों पर।
IMO द्वारा NavIC का मान्यता प्राप्त होना
NavIC को International Maritime Organization (IMO) द्वारा वैश्विक समुद्री नेविगेशन सिस्टम (WWRNS) का एक हिस्सा मान्यता प्राप्त है। इसका मतलब है कि NavIC को समुद्री परिवहन में उपयोग के लिए मान्यता प्राप्त है, और इसके सिग्नल्स को समुद्री जहाजों के लिए नेविगेशन और सुरक्षा प्रणालियों में शामिल किया गया है।
भारत के लिए GAGAN (GPS Aided Geo Augmented Navigation) प्रणाली
NavIC के अलावा, भारत में एक और महत्वपूर्ण सैटेलाइट नेविगेशन प्रणाली है, जिसे GAGAN (GPS Aided Geo Augmented Navigation) कहा जाता है।
ISRO और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा विकसित GPS Aided Geo Augmented Navigation (GAGAN)
GAGAN एक सैटेलाइट आधारित एग्मेंटेशन प्रणाली (SBAS) है, जिसे ISRO और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) द्वारा विकसित किया गया है। GAGAN का मुख्य उद्देश्य भारतीय वायुक्षेत्र में एयरलाइन नेविगेशन की सटीकता और सुरक्षा बढ़ाना है। यह GPS और GLONASS के सिग्नल्स को और अधिक सटीक बनाता है, जिससे विमान यात्रा के दौरान सभी चरणों में उच्चतम सटीकता की जरूरत को पूरा किया जा सके।
GAGAN का अन्य SBAS (WAAS, EGNOS, MSAS) के साथ इंटरऑपरेबिलिटी और इसकी प्रमाणिकता
GAGAN प्रणाली WAAS (Wide Area Augmentation System), EGNOS (European Geostationary Navigation Overlay Service) और MSAS (MTSAT Satellite Augmentation System) जैसी अंतर्राष्ट्रीय SBAS प्रणालियों के साथ पूरी तरह से इंटरऑपरेबल है। इस इंटरऑपरेबिलिटी से वैश्विक मानकों के अनुरूप सेवा उपलब्ध होती है। GAGAN को DGCA (Directorate General of Civil Aviation) द्वारा प्रमाणित किया गया है और यह भारत के लिए RNP 0.1 और APV-1 सेवाओं का समर्थन करता है।
अपने स्मार्टफोन पर NavIC GPS का सपोर्ट चेक करें
NavIC एक हार्डवेयर आधारित तकनीक है, जो स्मार्टफोन के चिपसेट के साथ मिलकर काम करती है। इसलिए, पुराने स्मार्टफोन जो हाल ही में लॉन्च हुए हैं, उनमें NavIC सपोर्ट नहीं होता। इस समय तक, Qualcomm ने घोषणा की है कि केवल कुछ Snapdragon चिपसेट जैसे 460, 662, 720G, और 765 में NavIC सपोर्ट है।
Snapdragon 865 चिपसेट में भी NavIC ट्रैकिंग यूनिट है, लेकिन यह अभी सक्रिय नहीं है। यह सेवा अप्रैल 2020 में चिपसेट निर्माताओं (OEMs) के लिए भेजी जाएगी। हालाँकि, कुछ स्मार्टफोन जैसे Realme X50 Pro, जिसमें Snapdragon 865 है, ने पहले ही NavIC सैटेलाइट्स को डिटेक्ट करना शुरू कर दिया है।
कैसे चेक करें कि आपका स्मार्टफोन NavIC सपोर्ट करता है:
आपको यह जानने के लिए एक स्मार्टफोन ऐप की आवश्यकता होगी। यहां दो लोकप्रिय ऐप्स हैं जिनसे आप इसे चेक कर सकते हैं:
GPSTest या GNSSTest ऐप डाउनलोड करें।
- ये ऐप्स फ्री हैं और L5 बैंड सपोर्ट करते हैं, जो NavIC सिग्नल के लिए जरूरी है।
- दोनों ऐप्स का उपयोग करने की सलाह दी जाती है ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि आपके फोन में NavIC सपोर्ट है या नहीं।
“Start Test” बटन पर टैप करें।
ऐप आपके लोकेशन के आधार पर सभी नेविगेशन सैटेलाइट्स को डिटेक्ट करेगा।
अगर ऐप भारतीय सैटेलाइट्स को डिटेक्ट करता है, तो इसका मतलब है कि आपका स्मार्टफोन NavIC को सपोर्ट करता है।
बेहतर परिणाम के लिए ऐप को बाहर की खुली जगह पर टेस्ट करें, ताकि सैटेलाइट सिग्नल आसानी से मिल सके।
जो स्मार्टफोन NavIC सपोर्ट करते हैं: वर्तमान में Qualcomm Snapdragon 460, 662, 720G, और 765 चिपसेट वाले स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट है।
आने वाले स्मार्टफोन: आने वाले स्मार्टफोन जैसे Realme 6 सीरीज़ और Redmi Note 9 में संभावना है कि NavIC सपोर्ट मिलेगा।
5G स्मार्टफोन के लिए NavIC सपोर्ट (NavIC GPS Support in 5G Smartphones)
भारत सरकार ने 5G स्मार्टफोन के लिए NavIC (Navigation with Indian Constellation) सपोर्ट अनिवार्य करने का निर्णय लिया है, जो भारतीय उपग्रह प्रणाली है। यह कदम राजीव चंद्रशेखर, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री द्वारा घोषित किया गया है। इस निर्णय से 5G स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को 5G स्मार्टफोन में NavIC-enabled चिपसेट के साथ डिवाइस लॉन्च करने की आवश्यकता होगी।
समय सीमा और डेडलाइन:
- 1 जनवरी 2025: सभी 5G स्मार्टफोन को भारत में लॉन्च होने से पहले NavIC के लिए अनिवार्य सपोर्ट देना होगा।
- दिसंबर 2025: L1 बैंड (जो GPS के लिए उपयोग किया जाता है) में काम करने वाले अन्य सभी स्मार्टफोन, जो वर्तमान में GPS का उपयोग करते हैं, उन्हें NavIC सपोर्ट देना अनिवार्य होगा।
स्मार्टफोन की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी:
स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने चिंता व्यक्त की है कि NavIC को शामिल करने से डिवाइस की कीमतें बढ़ सकती हैं। चिपसेट में इस तकनीक का समावेश करने से अतिरिक्त लागत आ सकती है, जिससे कीमतों में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, सरकार ने निर्माता कंपनियों को NavIC प्रणाली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है।
NavIC की भूमिका और उद्देश्य:
- NavIC एक स्वदेशी भारतीय नेविगेशन प्रणाली है, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित की गई है।
- वर्तमान में, NavIC प्रणाली में सात उपग्रह मौजूद हैं, और ISRO का लक्ष्य इसे बढ़ाकर 12 उपग्रहों तक करना है।
- NavIC का उद्देश्य भारत और आसपास के क्षेत्रों में उच्च सटीकता और स्वतंत्र नेविगेशन सेवाएं प्रदान करना है। यह भारत का GPS विकल्प है।
स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों पर प्रभाव:
- Apple iPhone 15 सीरीज़ के प्रो मॉडल में NavIC सपोर्ट शामिल किया गया है, जो भारत में निर्मित GPS विकल्प को पेश करने वाला पहला प्रमुख ब्रांड है।
- हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि NavIC को अनिवार्य बनाना का मतलब यह नहीं है कि यह एकमात्र नेविगेशन प्रणाली होगी। अन्य वैश्विक नेविगेशन प्रणालियों (जैसे GPS) के साथ इंटरऑपरेबिलिटी की अनुमति होगी।
NavIC GPS FAQ’s
NavIC क्या है?
NavIC (Navigation with Indian Constellation) एक भारतीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विकसित किया है। यह GPS का भारतीय विकल्प है और भारत के अंदर और आसपास के क्षेत्र में उच्च सटीकता के साथ नेविगेशन सेवाएं प्रदान करता है।
NavIC और GPS में क्या अंतर है?
GPS (Global Positioning System) अमेरिका द्वारा विकसित की गई एक वैश्विक नेविगेशन प्रणाली है, जबकि NavIC भारत की स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली है। NavIC भारत और उसके आस-पास के क्षेत्रों में अधिक सटीक और विश्वसनीय नेविगेशन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
NavIC का उपयोग कहां किया जाता है?
NavIC का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:स्मार्टफोन: लोकेशन ट्रैकिंग और मैपिंग के लिए।
वाहन: कारों और ट्रकों में नेविगेशन के लिए।
हवाई और समुद्री यात्रा: उड़ानों और समुद्री जहाजों के मार्गनिर्देशन के लिए।
कृषि: कृषि ड्रोन और ट्रैकिंग सिस्टम में।
क्या सभी स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट होता है?
नहीं, सभी स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट नहीं होता है। केवल कुछ चुनिंदा स्मार्टफोन में इस तकनीक का समर्थन है। विशेषकर, Qualcomm के Snapdragon 460, 662, 720G और 765 चिपसेट वाले स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट होता है।
कैसे पता करें कि मेरे स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट है?
आप GPSTest या GNSSTest जैसी ऐप्स इंस्टॉल करके यह चेक कर सकते हैं। जब आप इन ऐप्स को चलाते हैं, तो यदि ऐप्स भारतीय उपग्रह (NavIC) को detect करती हैं, तो इसका मतलब है कि आपके स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट है।
क्या NavIC केवल भारत में ही काम करता है?
NavIC मुख्य रूप से भारत और इसके आसपास के क्षेत्रों में सटीक नेविगेशन सेवा प्रदान करता है, लेकिन यह कुछ अन्य देशों में भी काम कर सकता है। इसका कवरेज भारत के अलावा 1500 किलोमीटर के दायरे तक है।
क्या 5G स्मार्टफोन में NavIC सपोर्ट होना अनिवार्य है?
हां, भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि 5G स्मार्टफोन में NavIC का सपोर्ट 1 जनवरी 2025 तक अनिवार्य होगा। इस कदम से भारतीय तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा।