2024- गूगल रैंकिंग सिग्नल्स क्या है? | List of Google Ranking Signals

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2024- गूगल रैंकिंग सिग्नल्स क्या है? | List of Google Ranking Signals 1

अगर आपके पास किसी भी तरह की वेबसाइट है तो Google Ranking Signals या Google Search Ranking Systems के बारे में समझना होगा।

Google के सर्च रिजल्ट्स कैसे काम करते हैं, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है। जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो Google लाखों-करोड़ों वेबसाइटों को चेक करता है और आपको सबसे सही जवाब देता है। लेकिन Google कैसे तय करता है कि कौन सी वेबसाइट आपको सबसे पहले दिखानी चाहिए? यहाँ हमने गूगल रैंकिंग सिग्नल्स को विस्तार से समझाया है। साथ ही Google Ranking Signals List की जानकारी भी दी है।

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Table of Contents

गूगल रैंकिंग सिग्नल्स क्या है? (Google Search Ranking Systems)

Google Ranking Signals एक ऐसी प्रणाली है जो यह तय करती है कि जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं तो आपको कौन सी वेबसाइट सबसे पहले दिखानी चाहिए। यह एक ऐसा जादुई फॉर्मूला है जो Google के पास है, जिसके ज़रिए वह लाखों-करोड़ों वेबसाइटों में से आपके सवाल का सबसे सही जवाब ढूंढकर आपको बता देता है।

मान लीजिए आपने Google पर सर्च किया “बेस्ट मोबाइल फोन”. Google आपके इस सवाल के हजारों जवाब ढूंढ लेगा. लेकिन Google कैसे तय करता है कि आपको कौन सी वेबसाइट सबसे पहले दिखानी चाहिए? यही काम Google Search Ranking Systems करती है।

कल्पना कीजिए कि आप एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी में हैं और आपको एक किताब ढूंढनी है। आप लाइब्रेरियन से पूछते हैं कि यह किताब कहाँ है. लाइब्रेरियन कई सारे शेल्फ्स में देखकर आपको वह किताब ढूंढकर देता है। Google Search Ranking Systems भी कुछ इसी तरह काम करता है।

गूगल रैंकिंग सिग्नल्स कैसे काम करती है?

Google कई सारे कारकों को देखकर यह तय करता है कि कौन सी वेबसाइट सबसे अच्छी है. कुछ मुख्य कारक ये हैं:

  • वेबसाइट का कंटेंट: क्या वेबसाइट पर आपका सवाल का सही जवाब है?
  • लोकप्रियता: क्या बहुत सारी दूसरी वेबसाइटें इस वेबसाइट को पसंद करती हैं?
  • वेबसाइट कितनी अच्छी है: क्या वेबसाइट देखने में अच्छी लगती है? क्या यह तेजी से खुलती है?
  • वेबसाइट मोबाइल पर कैसी दिखती है: क्या वेबसाइट मोबाइल फोन पर भी अच्छी तरह से काम करती है?

Google के रैंकिंग सिस्टम के मुख्य हिस्से (Google’s ranking systems key components)

जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो Google लाखों-करोड़ों वेबसाइटों में से आपको सबसे सही जवाब ढूंढकर देता है. लेकिन Google कैसे तय करता है कि आपको कौन सी वेबसाइट सबसे पहले दिखानी चाहिए? इसके लिए Google कुछ खास बातों को देखता है, जिन्हें हम रैंकिंग सिग्नल कहते हैं. ये रैंकिंग सिग्नल Google को यह तय करने में मदद करते हैं कि कौन सी वेबसाइट आपकी सर्च के लिए सबसे अच्छी है.

आइए इन रैंकिंग सिग्नल को आसान भाषा में समझते हैं:

1. वेबसाइट का कंटेंट कितना सही है? (Relevance)

  • क्या वेबसाइट पर आपका सवाल का सही जवाब है? Google यह देखता है कि वेबसाइट पर जो लिखा है, वह आपके सवाल से कितना मेल खाता है.
  • क्या वेबसाइट पर सही कीवर्ड्स का इस्तेमाल किया गया है? जैसे अगर आपने “बेस्ट मोबाइल फोन” सर्च किया है, तो Google उन वेबसाइटों को ऊपर दिखाएगा जिनमें “बेस्ट मोबाइल फोन” जैसे शब्द बार-बार आए हैं.

2. कितनी वेबसाइटें इस वेबसाइट को पसंद करती हैं? (Backlinks)

  • अन्य वेबसाइटें इस वेबसाइट को कितनी बार लिंक करती हैं? अगर बहुत सारी वेबसाइटें किसी एक वेबसाइट को लिंक करती हैं, तो Google समझ जाता है कि यह वेबसाइट बहुत अच्छी है.
  • जो वेबसाइटें लिंक करती हैं, वे कितनी अच्छी हैं? अगर कोई बड़ी और मशहूर वेबसाइट किसी छोटी वेबसाइट को लिंक करती है, तो छोटी वेबसाइट की भी वैल्यू बढ़ जाती है.

3. वेबसाइट कितनी अच्छी है? (User Experience)

  • क्या वेबसाइट देखने में अच्छी लगती है? क्या वेबसाइट तेजी से खुलती है?
  • क्या वेबसाइट मोबाइल फोन पर भी अच्छी तरह से काम करती है? अगर वेबसाइट इन सब चीजों में अच्छी है, तो Google उसे पसंद करता है.

4. वेबसाइट पर जो लिखा है, वह कितना अच्छा है? (Content Quality)

  • क्या वेबसाइट पर जो लिखा है, वह सही और उपयोगी है?
  • क्या वेबसाइट पर बहुत सारी गलतियाँ हैं?
  • क्या वेबसाइट पर नया-नया कंटेंट आता रहता है?

5. लोग इस वेबसाइट को कितना पसंद करते हैं? (User Engagement)

  • लोग इस वेबसाइट पर कितना समय बिताते हैं?
  • लोग इस वेबसाइट के दूसरे पेजों पर भी जाते हैं या नहीं?
  • लोग इस वेबसाइट से संतुष्ट होकर जाते हैं या नहीं?

6. आप क्या जानना चाहते हैं? (Search Intent)

  • Google यह समझने की कोशिश करता है कि आप असल में क्या जानना चाहते हैं.
  • अगर आप कोई प्रोडक्ट खरीदना चाहते हैं, तो Google आपको प्रोडक्ट खरीदने वाली वेबसाइट दिखाएगा.
  • अगर आप किसी टॉपिक के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो Google आपको जानकारी वाली वेबसाइट दिखाएगा.

7. आप कहाँ रहते हैं? (Localization)

अगर आपने कोई स्थानीय चीज़ सर्च की है, जैसे “पास का रेस्टोरेंट”, तो Google आपको अपने आस-पास के रेस्टोरेंट्स दिखाएगा।

याद रखें: ये सिर्फ कुछ मुख्य कारक हैं. Google के पास बहुत सारे ऐसे ही नियम हैं जिनका इस्तेमाल करके वह तय करता है कि कौन सी वेबसाइट आपको सबसे पहले दिखानी चाहिए।

Google एक बहुत ही चालाक लाइब्रेरियन की तरह है जो आपके सवाल का सबसे सही जवाब ढूंढने की कोशिश करता है।

List of Google Ranking Signals (Google’s Core Ranking Systems)

1. BERT: Bidirectional Encoder Representations from Transformers

BERT (Bidirectional Encoder Representations from Transformers) Google का एक बहुत ही स्मार्ट टूल है जो इंसानी भाषा को समझने में माहिर है. जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो BERT आपके सवाल का मतलब गहराई से समझने की कोशिश करता है. यह सिर्फ शब्दों को नहीं देखता, बल्कि यह समझता है कि शब्द एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं और आपका सवाल क्या पूछ रहा है।

BERT की मदद से Google आपके सवाल का सबसे सही जवाब ढूंढ सकता है. यह आपके सवाल के context को समझता है और आपको सबसे relevant results देता है। BERT की वजह से Google अब बहुत जटिल और nuanced सवालों को भी समझ सकता है. इससे आपका Google सर्च का अनुभव और बेहतर हो गया है।

Google BERT की पूरी जानकारी

2. Crisis information systems

Google के क्राइसिस इंफॉर्मेशन सिस्टम किसी भी तरह के संकट के समय बेहद उपयोगी होते हैं. ये सिस्टम इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर समस्या का सामना कर रहा हो, तो उसे तुरंत सही जानकारी मिल सके.

आइए इन सिस्टमों के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को और विस्तार से देखें:

  • व्यक्तिगत संकटों के लिए समर्थन: जब कोई व्यक्ति व्यक्तिगत संकट जैसे कि आत्महत्या, यौन उत्पीड़न या नशीली दवाओं की लत से जुड़ी जानकारी खोजता है, तो Google उसे विश्वसनीय संगठनों के हेल्पलाइन नंबर या संबंधित सामग्री दिखाता है. इससे लोगों को तुरंत मदद मिल सकती है.
  • प्राकृतिक आपदाओं के लिए अलर्ट: SOS अलर्ट सिस्टम के जरिए Google, प्राकृतिक आपदाओं या अन्य संकटों के दौरान स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए अपडेट को सीधे लोगों तक पहुंचाता है. इससे लोग सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
  • तकनीक का उपयोग: Google अपने उन्नत तकनीकों का उपयोग करके यह सुनिश्चित करता है कि यह जानकारी जल्दी से और सबसे प्रासंगिक रूप में उपयोगकर्ताओं तक पहुंचे.
  • गोपनीयता: Google यह भी सुनिश्चित करता है कि इस तरह की संवेदनशील जानकारी को गोपनीय रखा जाए और इसका दुरुपयोग न हो.

3. Deduplication systems

जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो Google आपको कई सारे वेबसाइट के लिंक दिखाता है। लेकिन कभी-कभी क्या होता है कि कई वेबसाइटों पर एक ही तरह की जानकारी होती है। यानी एक ही बात को बार-बार अलग-अलग शब्दों में लिखा गया होता है। इसे ही डुप्लिकेशन कहते हैं।

Google का डीडुप्लिकेशन सिस्टम क्या करता है?

Google का डीडुप्लिकेशन सिस्टम इसी समस्या को हल करता है। यह सिस्टम उन वेबसाइटों को ढूंढता है जिन पर एक जैसी या लगभग एक जैसी जानकारी है। फिर यह तय करता है कि कौन सी वेबसाइट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और उसी को आपको दिखाता है। बाकी को छिपा देता है।

क्यों जरूरी है डीडुप्लिकेशन?

  • बेहतर खोज परिणाम: जब आपको एक ही तरह की जानकारी बार-बार नहीं दिखाई देती, तो आप आसानी से वह जानकारी ढूंढ पाते हैं जिसकी आपको जरूरत है।
  • समय की बचत: आपको एक ही जानकारी को बार-बार नहीं पढ़ना पड़ता।
  • अच्छा उपयोगकर्ता अनुभव: जब आपको वह जानकारी मिल जाती है जिसकी आपको तलाश थी, तो आपका Google पर सर्च करने का अनुभव अच्छा होता है।

फीचर्ड स्निपेट्स और डीडुप्लिकेशन

फीचर्ड स्निपेट्स वे छोटे से जवाब होते हैं जो आपके सवाल का जवाब सीधे सर्च रिजल्ट्स में दिखाते हैं। अगर किसी वेबसाइट का फीचर्ड स्निपेट के रूप में चुना गया है, तो वह वेबसाइट फिर से सर्च रिजल्ट्स में ऊपर नहीं आएगी। इसका मतलब है कि आपको एक ही जानकारी दो बार नहीं दिखाई देगी।

4. Exact match domain system

जब किसी वेबसाइट का नाम बिल्कुल या लगभग वैसा ही होता है जैसा कि आप Google पर सर्च करते हैं, तो उसे एक्जैक्ट मैच डोमेन कहते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप “दिल्ली की बेस्ट होटल” सर्च करते हैं और आपको “[Best Hotel in Delhi]” नाम की वेबसाइट मिलती है, तो ये एक एक्जैक्ट मैच डोमेन का उदाहरण है।

Google का एक्जैक्ट मैच डोमेन सिस्टम क्यों जरूरी है?

पहले के समय में, एक्जैक्ट मैच डोमेन वाली वेबसाइट्स सर्च रिजल्ट्स में बहुत ऊपर आ जाती थीं, भले ही उनकी वेबसाइट की क्वालिटी अच्छी न हो। इसका कारण यह था कि Google का सिस्टम सिर्फ वेबसाइट के नाम को देखता था, उसके कंटेंट को नहीं।

लेकिन Google ने पाया कि कई लोग सिर्फ सर्च रिजल्ट्स में ऊपर आने के लिए ऐसे डोमेन बना रहे हैं। इन वेबसाइटों पर अच्छी क्वालिटी का कंटेंट नहीं होता था। इससे यूजर्स को सही जानकारी नहीं मिल पाती थी।

इसीलिए Google ने एक्जैक्ट मैच डोमेन सिस्टम बनाया। इस सिस्टम के तहत, Google सिर्फ वेबसाइट के नाम को नहीं, बल्कि उसके कंटेंट, यूजर एक्सपीरियंस और कई अन्य फैक्टर्स को भी देखता है।

इस सिस्टम से क्या फायदा होता है?

उपयोगकर्ताओं के लिए बेहतर अनुभव: अब उपयोगकर्ताओं को वह जानकारी मिलती है जिसकी उन्हें वास्तव में जरूरत होती है।

बेहतर सर्च रिजल्ट्स: अब आपको हमेशा सबसे अच्छी और प्रासंगिक वेबसाइट सबसे ऊपर दिखाई देगी।

कम स्पैम: ऐसी वेबसाइट्स जो सिर्फ सर्च रिजल्ट्स में ऊपर आने के लिए बनाई जाती हैं, अब आसानी से पकड़ी जा सकती हैं।

Exact Match Domain (EMD) Systems

5. Freshness systems

Google का “फ्रेशनेस सिस्टम” एक ऐसा सिस्टम है जो यह सुनिश्चित करता है कि जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो आपको हमेशा सबसे ताज़ा और अपडेटेड जानकारी मिले, खासकर उन मामलों में जहां जानकारी जल्दी-जल्दी बदलती रहती है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

यह सिस्टम वेबसाइटों को उनकी सामग्री के आधार पर रैंक करता है। अगर किसी वेबसाइट पर कोई खबर या जानकारी बहुत नई है, तो उसे सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखाया जाता है।

  • हाल की खबरें: अगर आप किसी हाल ही में हुई घटना के बारे में सर्च करते हैं, जैसे कि कोई फिल्म रिलीज़ हुई हो या कोई बड़ी खबर हो, तो आपको सबसे पहले उन वेबसाइटों के लिंक दिखेंगे जिन पर इस घटना के बारे में ताज़ा जानकारी है।
  • बदलती हुई जानकारी: अगर किसी विषय पर जानकारी लगातार बदलती रहती है, जैसे कि किसी उत्पाद की कीमत या किसी कंपनी के स्टॉक के बारे में, तो यह सिस्टम आपको हमेशा सबसे ताज़ा जानकारी देगा।

क्यों है ये सिस्टम जरूरी?

बेहतर निर्णय: ताज़ा जानकारी के आधार पर आप बेहतर निर्णय ले सकते हैं।

सही जानकारी: यह सिस्टम आपको गलत या पुरानी जानकारी पढ़ने से बचाता है।

समय की बचत: आपको ताज़ा जानकारी ढूंढने में समय नहीं बर्बाद करना पड़ता।

6. Link analysis systems and PageRank

लिंक एनालिसिस और PageRank Google को यह समझने में मदद करते हैं कि वेबसाइटें एक-दूसरे से कैसे जुड़ी हुई हैं और कौन सी वेबसाइट सबसे अच्छी है। इससे आपको Google पर सर्च करने का अनुभव बेहतर होता है।

लिंक एनालिसिस क्या होता है?

लिंक एनालिसिस का मतलब है कि Google वेबसाइटों के बीच के लिंक्स को देखकर समझता है कि वेबसाइट किस विषय के बारे में है और क्या यह उपयोगकर्ता के सवाल का सही जवाब दे सकती है।

PageRank क्या है?

PageRank Google के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण रैंकिंग सिस्टम में से एक है। यह Google के शुरुआती दिनों से ही इस्तेमाल किया जा रहा है।

PageRank कैसे काम करता है?

PageRank यह देखता है कि कितनी अन्य वेबसाइटें किसी वेबसाइट को लिंक करती हैं। अगर बहुत सारी वेबसाइटें किसी एक वेबसाइट को लिंक करती हैं, तो Google समझ जाता है कि यह वेबसाइट बहुत अच्छी और महत्वपूर्ण है।

क्यों जरूरी है लिंक एनालिसिस और PageRank?

  • सही जानकारी: लिंक एनालिसिस और PageRank Google को यह समझने में मदद करते हैं कि कौन सी वेबसाइट सबसे ज्यादा प्रासंगिक और उपयोगी है।
  • बेहतर सर्च रिजल्ट्स: इन सिस्टमों की वजह से Google आपको हमेशा सबसे सही और उपयोगी जानकारी दिखा सकता है।

7. Local news systems

Google का लोकल न्यूज़ सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो आपको अपने आस-पास के क्षेत्र से संबंधित खबरें सबसे पहले दिखाई दें।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • स्थानीय समाचार स्रोतों की पहचान: Google अपने सिस्टम के माध्यम से उन वेबसाइटों को ढूंढता है जो आपके आस-पास के क्षेत्र की खबरें प्रकाशित करती हैं।
  • सामग्री का विश्लेषण: Google इन वेबसाइटों की सामग्री का विश्लेषण करता है ताकि यह सुनिश्चित कर सके कि वे वास्तव में स्थानीय खबरें प्रकाशित कर रही हैं।
  • सर्च रिजल्ट्स में प्रदर्शन: Google आपके सर्च रिजल्ट्स में स्थानीय खबरों को सबसे ऊपर दिखाता है।

क्यों जरूरी है ये सिस्टम?

  • संबंधित जानकारी: यह सिस्टम आपको उन खबरों से अवगत कराता है जो आपके जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
  • समय की बचत: आपको स्थानीय खबरें ढूंढने में समय नहीं बर्बाद करना पड़ता।
  • बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव: जब आपको स्थानीय खबरें मिलती हैं, तो आपका Google पर सर्च करने का अनुभव बेहतर होता है।

उदाहरण के लिए:

  • अगर आप Google पर “दरभंगा की खबरें” सर्च करते हैं, तो आपको सबसे पहले दरभंगा से संबंधित खबरें दिखाई देंगी।
  • अगर आप Google पर “आज की खबरें” सर्च करते हैं और आप दरभंगा में रहते हैं, तो आपको सबसे पहले दरभंगा की खबरें दिखाई देंगी।

8. MUM

MUM, यानी Multitask Unified Model, एक बहुत ही उन्नत कृत्रिम बुद्धि (AI) सिस्टम है। यह सिस्टम न केवल भाषा को समझ सकता है, बल्कि खुद भी भाषा उत्पन्न कर सकता है।

MUM का उपयोग कहाँ होता है?

  • COVID-19 वैक्सीन जानकारी: MUM ने COVID-19 वैक्सीन के बारे में लोगों के सवालों को समझने और सही जानकारी देने में बहुत मदद की है।
  • फीचर्ड स्निपेट्स: MUM का इस्तेमाल फीचर्ड स्निपेट्स को बेहतर बनाने के लिए भी किया जाता है। फीचर्ड स्निपेट्स वो छोटे-छोटे जवाब होते हैं जो Google सर्च रिजल्ट्स के ऊपर दिखाई देते हैं।

क्यों है MUM इतना महत्वपूर्ण?

विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग: MUM को कई अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह Google के लिए एक बहुत ही बहुमुखी टूल है।

बेहतर भाषा समझ: MUM भाषा को बहुत गहराई से समझ सकता है। इससे Google को आपके सवालों का बेहतर जवाब देने में मदद मिलती है।

MUM का उपयोग कहाँ होता है?

  • COVID-19 वैक्सीन जानकारी: MUM ने COVID-19 वैक्सीन के बारे में लोगों के सवालों को समझने और सही जानकारी देने में बहुत मदद की है।
  • फीचर्ड स्निपेट्स: MUM का इस्तेमाल फीचर्ड स्निपेट्स को बेहतर बनाने के लिए भी किया जाता है। फीचर्ड स्निपेट्स वो छोटे-छोटे जवाब होते हैं जो Google सर्च रिजल्ट्स के ऊपर दिखाई देते हैं।

उदाहरण के लिए:

  • अगर आप Google पर सर्च करते हैं “COVID-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?”, तो MUM आपको सबसे सही और अपडेटेड जानकारी दे सकता है।
  • MUM यह भी तय कर सकता है कि कौन सी जानकारी आपके सवाल का सबसे अच्छा जवाब है और उसे फीचर्ड स्निपेट के रूप में दिखा सकता है।

9. Neural matching

Neural Matching एक तरह का कृत्रिम बुद्धि (AI) सिस्टम है जिसे Google ने बनाया है। यह सिस्टम वेबसाइटों और आपके सवालों में मौजूद शब्दों और विचारों को समझने और उनका तुलना करने में माहिर है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • शब्दों और विचारों का प्रतिनिधित्व: Neural Matching सिस्टम आपके सवालों और वेबसाइटों में मौजूद शब्दों और विचारों को एक तरह से कोड या प्रतिनिधित्व में बदल देता है।
  • तुलना: फिर यह आपके सवाल के प्रतिनिधित्व को वेबसाइटों के प्रतिनिधित्व से तुलना करता है।
  • सबसे सही मैच: इस तुलना के आधार पर यह तय करता है कि कौन सी वेबसाइट आपके सवाल का सबसे सही जवाब दे सकती है।

उदाहरण के लिए:

मान लीजिए आपने Google पर सर्च किया “बेस्ट स्मार्टफोन फॉर गेमिंग”। Neural Matching आपके सवाल में “बेस्ट”, “स्मार्टफोन” और “गेमिंग” शब्दों के अर्थ को समझ लेगा और फिर उन वेबसाइटों को दिखाएगा जिनमें इन शब्दों का सबसे अच्छा इस्तेमाल किया गया है और जो गेमिंग के लिए सबसे अच्छे स्मार्टफोन के बारे में जानकारी देती हैं।

10. Original content systems

Google का ओरिजिनल कंटेंट सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो आपको सबसे पहले मूल और नई जानकारी दिखाई दे।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • मूल सामग्री की पहचान: Google अपने सिस्टम के माध्यम से उन वेबसाइटों को ढूंढता है जिन पर मूल सामग्री प्रकाशित होती है।
  • सामग्री का विश्लेषण: Google इन वेबसाइटों की सामग्री का विश्लेषण करता है ताकि यह सुनिश्चित कर सके कि वे वास्तव में मूल सामग्री प्रकाशित कर रही हैं।
  • सर्च रिजल्ट्स में प्रदर्शन: Google आपके सर्च रिजल्ट्स में मूल सामग्री को सबसे ऊपर दिखाता है।

उदाहरण के लिए:

  • अगर आप सर्च करते हैं “भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया मैच का स्कोर”, तो आपको सबसे पहले किसी समाचार वेबसाइट से मिली ताज़ा रिपोर्ट दिखाई देगी, ना कि किसी व्यक्ति के ब्लॉग से।
  • अगर आप सर्च करते हैं “कोरोना वायरस के नए मामले”, तो आपको सबसे पहले किसी सरकारी स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक आंकड़े दिखाई देंगे।

11. Removal-based demotion systems

Google का रिमूवल-बेस्ड डिमोशन सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जो उन वेबसाइटों को नीचे रैंक कर देता है जिन पर बहुत सारी ऐसी सामग्री होती है जिसे हटाना चाहिए।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • कॉपीराइट और व्यक्तिगत जानकारी हटाने के अनुरोध: अगर किसी वेबसाइट के खिलाफ बहुत सारे कॉपीराइट हटाने या व्यक्तिगत जानकारी हटाने के अनुरोध आते हैं, तो Google इस बात पर ध्यान देता है।
  • साइट को नीचे रैंक करना: अगर Google को लगता है कि वेबसाइट पर बहुत सारी ऐसी सामग्री है जो गलत है या लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है, तो वह उस वेबसाइट को सर्च रिजल्ट्स में नीचे कर देता है।

उदाहरण के लिए:

  • अगर किसी वेबसाइट पर बहुत सारी चोरी की सामग्री होती है, तो Google उस वेबसाइट को नीचे कर सकता है।
  • अगर किसी वेबसाइट पर लोगों की व्यक्तिगत जानकारी बिना उनकी अनुमति के प्रकाशित की जाती है, तो Google उस वेबसाइट को नीचे कर सकता है।

12. Passage ranking system

पैसेज रैंकिंग एक ऐसा सिस्टम है जो किसी वेबसाइट के अलग-अलग हिस्सों या पैराग्राफ को समझने और उसकी प्रासंगिकता का मूल्यांकन करने में सक्षम होता है। यह सिस्टम आपके सवाल के लिए सबसे प्रासंगिक हिस्से को ढूंढने में मदद करता है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • पैराग्राफ स्तर पर विश्लेषण: यह सिस्टम किसी वेबसाइट के पूरे पेज को नहीं, बल्कि उसके अलग-अलग पैराग्राफ को देखता है।
  • प्रासंगिकता का मूल्यांकन: यह प्रत्येक पैराग्राफ को आपके सवाल से कितना संबंधित है, यह जांचता है।
  • सबसे प्रासंगिक पैराग्राफ का चयन: फिर यह सबसे प्रासंगिक पैराग्राफ को चुनकर आपको दिखाता है।

उदाहरण के लिए:

मान लीजिए आपने Google पर सर्च किया “दिल्ली में सबसे अच्छे रेस्टोरेंट कौन से हैं?” अब अगर किसी वेबसाइट पर दिल्ली के रेस्टोरेंट्स के बारे में बहुत लंबा लेख है, तो पैसेज रैंकिंग उस लेख के उन हिस्सों को ढूंढकर आपको दिखाएगा जो सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं, जैसे कि “दिल्ली के टॉप 10 रेस्टोरेंट्स” या “दिल्ली में सबसे अच्छे इटालियन रेस्टोरेंट”।

13. RankBrain

RankBrain एक कृत्रिम बुद्धि (AI) सिस्टम है जिसे Google ने बनाया है। यह सिस्टम शब्दों और विचारों के बीच के संबंधों को समझने में माहिर है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • शब्दों के रिश्ते समझता है: RankBrain यह समझता है कि शब्द एक-दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं, भले ही वे सटीक रूप से मेल न खाते हों।
  • सवाल का मतलब समझता है: RankBrain आपके सवाल के पीछे का मतलब समझने की कोशिश करता है, न कि सिर्फ शब्दों को देखता है।
  • सबसे सही जवाब ढूंढता है: RankBrain आपके सवाल के आधार पर सबसे सही वेबसाइट ढूंढने में Google की मदद करता है।

उदाहरण के लिए:

मान लीजिए आपने Google पर सर्च किया “दिल्ली में सबसे अच्छा इटालियन खाना कहां मिलेगा?” अब अगर किसी वेबसाइट पर “रोमन पिज्जा कहां मिलेगा” लिखा है, तो RankBrain समझ जाएगा कि “रोमन पिज्जा” भी एक तरह का इटालियन खाना है और आपको उस वेबसाइट का लिंक भी दिखाएगा।

14. Reliable information systems

Google का Reliable information systems यह सुनिश्चित करता है कि जब आप Google पर कोई सवाल पूछते हैं, तो आपको हमेशा सही और विश्वसनीय जानकारी मिले।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • अधिकारिक स्रोतों को प्राथमिकता: Google उन वेबसाइटों को प्राथमिकता देता है जो विश्वसनीय और अधिकारिक हैं।
  • कम गुणवत्ता वाली सामग्री को नीचे रैंक करना: Google उन वेबसाइटों को नीचे रैंक करता है जिन पर गलत या अपर्याप्त जानकारी होती है।
  • सामग्री की गुणवत्ता के बारे में सूचना देना: जब Google को लगता है कि किसी विषय पर जानकारी की गुणवत्ता अच्छी नहीं है या तेजी से बदल रही है, तो वह आपको इसके बारे में सूचित करता है।

उदाहरण के लिए:

  • अगर आप Google पर “कोरोना वायरस के नए मामले” सर्च करते हैं, तो आपको सबसे पहले किसी सरकारी स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक आंकड़े दिखाई देंगे।
  • अगर किसी विषय पर बहुत सारी अलग-अलग जानकारी है और Google को लगता है कि इनमें से कुछ जानकारी गलत हो सकती है, तो वह आपको इसके बारे में बताएगा।

15. Reviews system

Google का रिव्यू सिस्टम उन समीक्षाओं को प्राथमिकता देता है जो उपयोगकर्ताओं द्वारा लिखी गई हैं और जो उच्च गुणवत्ता की होती हैं। ये समीक्षाएँ किसी उत्पाद, सेवा, या जगह के बारे में गहराई से विश्लेषण करती हैं और उपयोगकर्ताओं को सही जानकारी देने में मदद करती हैं।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • गुणवत्ता का मूल्यांकन: Google का सिस्टम समीक्षाएँ पढ़कर यह तय करता है कि वे कितनी अच्छी हैं। यह देखता है कि क्या समीक्षा में नई जानकारी है, क्या समीक्षा उपयोगकर्ताओं के लिए मददगार है, और क्या समीक्षा में कोई व्यक्तिगत राय शामिल है।
  • उच्च गुणवत्ता वाली समीक्षा को प्रोत्साहित करना: Google उन उपयोगकर्ताओं को प्रोत्साहित करता है जो अच्छी गुणवत्ता की समीक्षा लिखते हैं।
  • सर्च रिजल्ट्स में प्रदर्शन: Google उच्च गुणवत्ता वाली समीक्षा को सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखाता है।

उदाहरण के लिए:

  • अगर आप Google पर “दिल्ली के सबसे अच्छे रेस्टोरेंट” सर्च करते हैं, तो आपको सबसे ऊपर उन रेस्टोरेंट्स की समीक्षा मिलेगी जो अन्य उपयोगकर्ताओं ने लिखी हैं और जो सबसे अच्छी रेटिंग प्राप्त की हैं।

16. Site diversity system

Google का साइट डाइवर्सिटी सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि सर्च रिजल्ट्स में किसी एक ही वेबसाइट के बहुत सारे लिंक न दिखाई दें। इसका मतलब है कि किसी एक वेबसाइट पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • एक ही वेबसाइट के लिंक की सीमा: यह सिस्टम तय करता है कि एक ही वेबसाइट के कितने लिंक सर्च रिजल्ट्स में दिखाई दे सकते हैं।
  • सबडोमेन की अलग पहचान: हालांकि सबडोमेन आमतौर पर मुख्य डोमेन का ही हिस्सा माने जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में Google सबडोमेन को अलग वेबसाइट के रूप में भी देखता है।

उदाहरण के लिए:

मान लीजिए आपने Google पर सर्च किया “दिल्ली के सबसे अच्छे रेस्टोरेंट”। अब अगर एक ही वेबसाइट पर दिल्ली के सभी रेस्टोरेंट्स की जानकारी है, तो Google यह सुनिश्चित करेगा कि इस वेबसाइट के बहुत सारे लिंक आपको एक ही बार में न दिखाई दें। इससे आपको अन्य वेबसाइटों की भी जानकारी मिल सकेगी।

17. Spam detection systems

Google का स्पैम डिटेक्शन सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जो स्पैम सामग्री और धोखाधड़ी को रोकने के लिए काम करता है। यह सिस्टम ईमेल में स्पैम फिल्टर की तरह काम करता है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

  • स्पैम की पहचान: यह सिस्टम स्पैम सामग्री की पहचान करने के लिए कई अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करता है।
  • स्पैम को रोकना: यह सिस्टम स्पैम सामग्री को सर्च रिजल्ट्स में ऊपर आने से रोकता है।

उदाहरण के लिए:

  • अगर कोई वेबसाइट केवल विज्ञापन दिखाने के लिए बनाई गई है और उस पर कोई उपयोगी जानकारी नहीं है, तो Google का स्पैम डिटेक्शन सिस्टम उस वेबसाइट को नीचे रैंक कर देगा।
  • अगर कोई वेबसाइट बार-बार आपके सर्च रिजल्ट्स में ऊपर आ रही है, लेकिन उस पर कोई उपयोगी जानकारी नहीं है, तो Google का स्पैम डिटेक्शन सिस्टम उस वेबसाइट को भी रोक सकता है।

Google के कुछ रिटायर हो चुके रैंकिंग सिस्टम

Google के कुछ पुराने रैंकिंग सिस्टम अब रिटायर हो चुके हैं। इन सिस्टम को नए और बेहतर सिस्टम में शामिल कर लिया गया है। ये कुछ रिटायर हो चुके सिस्टम हैं:

हेल्पफुल कंटेंट सिस्टम (Helpful Content System)

2024 में इसे Google के मुख्य रैंकिंग सिस्टम में शामिल कर लिया गया।

यह सिस्टम 2022 में पेश किया गया था।

इसका उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को मूल और उपयोगी सामग्री दिखाना था।

A. हम्मिंगबर्ड (Hummingbird)

  • हम्मिंगबर्ड अगस्त 2013 में पेश किया गया था और यह Google के रैंकिंग सिस्टम में एक बड़ा सुधार था।
  • हालांकि यह उस समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन बाद में आए नए सिस्टमों ने इसे पीछे छोड़ दिया।
  • अब हम्मिंगबर्ड को एक अलग रैंकिंग सिस्टम नहीं माना जाता है।

B. पांडा सिस्टम (Panda System)

  • पांडा सिस्टम 2011 में पेश किया गया था।
  • इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली और मूल सामग्री को सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखाना था।
  • शुरू में यह एक अलग सिस्टम था, लेकिन 2015 में इसे Google के मुख्य रैंकिंग सिस्टम में शामिल कर लिया गया।
  • आज भी पांडा सिस्टम के सिद्धांतों का इस्तेमाल Google के रैंकिंग एल्गोरिथम में किया जाता है।

C. पेंगुइन सिस्टम (Penguin System)

  • पेंगुइन सिस्टम 2012 में पेश किया गया था।
  • इसका उद्देश्य लिंक स्पैम को रोकना था।
  • यह सिस्टम उन वेबसाइटों को नीचे रैंक करता था जो गलत तरीके से लिंक बनाती थीं।
  • 2016 में पेंगुइन सिस्टम को भी Google के मुख्य रैंकिंग सिस्टम में शामिल कर लिया गया।

इन सिस्टमों को रिटायर करने का मतलब यह नहीं है कि उनके सिद्धांत अब उपयोग नहीं किए जाते हैं। इनके सिद्धांत आज भी Google के रैंकिंग सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

निष्कर्ष: Google के रैंकिंग सिस्टम का महत्व

Google के सर्च रैंकिंग सिस्टम तकनीकी प्रगति के निरंतर विकास और सुधार का प्रमाण हैं। ये सिस्टम न केवल सामान्य सर्च के लिए बल्कि विशिष्ट जरूरतों के लिए भी उपयोगी होते हैं। इन सिस्टमों की मदद से Google दुनिया भर के अरबों उपयोगकर्ताओं को प्रासंगिक और उपयोगी सर्च रिजल्ट्स प्रदान करता है।

इन सिस्टमों को समझने से सामग्री निर्माताओं और उपयोगकर्ताओं दोनों को लाभ होता है क्योंकि:

  • सामग्री निर्माता अपनी सामग्री को बेहतर तरीके से ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं ताकि वह सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखाई दे।
  • उपयोगकर्ता यह समझ सकते हैं कि Google कैसे काम करता है और कैसे बेहतर सर्च रिजल्ट्स प्राप्त कर सकते हैं।

Google Ranking Signals FAQs

Google अपने रैंकिंग सिस्टम को कितनी बार अपडेट करता है?

Google अपने रैंकिंग सिस्टम को नियमित रूप से अपडेट करता रहता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह हमेशा बेहतर प्रदर्शन करे और बदलते हुए उपयोगकर्ता की जरूरतों और उम्मीदों के अनुरूप हो। अपडेट की आवृत्ति अलग-अलग हो सकती है और महत्वपूर्ण अपडेट के बारे में Google आमतौर पर घोषणा करता है।

क्या Google पुराने आर्टिकल्स की बजाय नए कंटेंट को ज्यादा महत्व देता है?

Google का “क्वेरी डिज़र्व्स फ्रेशनेस” (query deserves freshness) सिस्टम उस समय के अनुसार सबसे प्रासंगिक और नए कंटेंट को पेश करने की कोशिश करता है जब कोई विशिष्ट क्वेरी के लिए सर्च किया जाता है। जबकि ताजा कंटेंट को कुछ विशिष्ट सर्च इंटेंट के लिए प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन जानकारी की प्रासंगिकता और गुणवत्ता रैंक करने में मुख्य तत्व रहते हैं।

क्या Google मूल कंटेंट और सिर्फ सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन के लिए बनाए गए कंटेंट में अंतर कर पाता है?

हां, Google के एल्गोरिदम मूल कंटेंट को पहचानने और उसे प्राथमिकता देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जो उपयोगकर्ताओं के लिए मूल्यवान है। केवल सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन के उद्देश्यों के लिए बनाई गई सामग्री जो कि महत्वपूर्ण अतिरिक्त मूल्य प्रदान नहीं करती है, सर्च परिणामों में उतनी प्रमुखता से रैंक नहीं हो सकती है।

Google सर्च परिणामों में जानकारी की विश्वसनीयता को कैसे निर्धारित करता है?

Google विश्वसनीय जानकारी को बढ़ावा देने और कम गुणवत्ता वाली जानकारी को कम करने के लिए विभिन्न सिस्टमों का उपयोग करता है। ये सिस्टम ऑथोरिटेटिवनेस, एक्सपर्टीज़, ट्रस्टवर्थीनेस और कंटेंट की समग्र गुणवत्ता जैसे कारकों का मूल्यांकन करते हैं, ताकि उपयोगकर्ताओं को विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हो सके।

Google के रैंकिंग में रिव्यू सिस्टम का उद्देश्य क्या है?

रिव्यू सिस्टम का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले रिव्यू को बढ़ावा देना है, जिसमें इनसाइटफुल एनालिसिस, ओरिजिनल रिसर्च और वैल्यूएबल पर्सपेक्टिव्स होते हैं। इन रिव्यू को प्राथमिकता देकर, Google उपयोगकर्ता द्वारा जनरेट की गई मूल्यवान सामग्री की दृश्यता को बढ़ाता है और उपयोगकर्ताओं को सूचित निर्णय लेने में मदद करता है।

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