भारत में एनजीओ फंडिंग कैसे प्राप्त करें: NGO Funding Kaise Milti Hai

भारत में गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) शुरू करना एक नेक काम है, लेकिन इसके लिए फंडिंग सबसे बड़ी चुनौती होती है। अगर आप एक नया एनजीओ शुरू कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि भारत में एनजीओ फंडिंग कैसे प्राप्त करें, तो यह विस्तृत गाइड आपके लिए है। 2025 में, NGO Funding के कई स्रोत उपलब्ध हैं, जैसे सरकारी अनुदान, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर), विदेशी दान, क्राउडफंडिंग और व्यक्तिगत योगदान। इस ब्लॉग में हम शून्य से शुरू करके फंडिंग प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया को 10 शक्तिशाली कदमों में समझाएंगे।
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शुरुआती लोगों के लिए भारत में एनजीओ फंडिंग: स्टेप 1 – अपने एनजीओ को पंजीकृत करें
भारत में एनजीओ फंडिंग कैसे प्राप्त करें का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है अपने संगठन को कानूनी रूप से पंजीकृत करना। बिना वैध रजिस्ट्रेशन के आप न तो सरकारी अनुदान प्राप्त कर सकते हैं, न ही कॉर्पोरेट या विदेशी फंडिंग। 2025 में, भारत में एनजीओ पंजीकरण के तीन मुख्य तरीके हैं, प्रत्येक के अपने नियम और फायदे:
1 सोसाइटी (Society)
सोसाइटी क्या है और क्यों चुनें?
सोसाइटी एक कानूनी संस्था है जिसे Society Registration Act, 1860 के तहत पंजीकृत किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना नहीं, बल्कि सामाजिक कल्याण या सार्वजनिक हित के लिए काम करना है। यह उन लोगों के समूह के लिए सबसे अच्छा विकल्प है जो एक साथ मिलकर शिक्षा, कला, विज्ञान, या धर्मार्थ गतिविधियों जैसे उद्देश्यों पर काम करना चाहते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर कुछ शिक्षक मिलकर एक ऐसा संगठन बनाना चाहते हैं जो ग्रामीण बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे, तो वे सोसाइटी के रूप में पंजीकरण करवा सकते हैं।
पंजीकरण की आवश्यकताएं
सोसाइटी बनाने के लिए कुछ बुनियादी शर्तों को पूरा करना ज़रूरी है:
- सदस्यों की संख्या: सोसाइटी के पंजीकरण के लिए कम से कम 7 सदस्यों की आवश्यकता होती है। ये सभी सदस्य किसी भी राज्य के नागरिक हो सकते हैं, लेकिन उन्हें एक साथ मिलकर MoA पर हस्ताक्षर करना होता है।
- मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MoA): यह सोसाइटी का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह एक तरह का संविधान है जिसमें सोसाइटी का नाम, उद्देश्य, पता और इसके सदस्यों के नाम और पते शामिल होते हैं। इसमें स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि सोसाइटी किस लक्ष्य के लिए काम करेगी।
- नियम और विनियम (By-laws): यह वह दस्तावेज है जो सोसाइटी के आंतरिक कामकाज को नियंत्रित करता है। इसमें बताया जाता है कि सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी कैसे काम करेगी, बैठकें कैसे आयोजित होंगी, सदस्यों को कैसे शामिल किया जाएगा और वित्तीय रिकॉर्ड कैसे रखे जाएंगे।
पंजीकरण की प्रक्रिया और दस्तावेज
सोसाइटी के रूप में पंजीकरण के लिए आपको अपने राज्य के रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज (Registrar of Societies) के कार्यालय में आवेदन करना होगा।
यहाँ प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची दी गई है:
आवेदन जमा करें: एक कवर लेटर के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज रजिस्ट्रार ऑफिस में जमा करें।
दस्तावेज़:
- MoA और By-laws की दो प्रतियाँ।
- सभी सदस्यों के पहचान पत्र (आधार कार्ड, वोटर आईडी) और पते का प्रमाण।
- सोसाइटी के नाम पर एक हलफनामा (affidavit) जिसमें यह घोषणा की गई हो कि नाम पहले से पंजीकृत नहीं है।
- अगर कार्यालय किराए पर है, तो मकान मालिक से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC)।
- सोसाइटी के उद्देश्य और नियमों की एक प्रति।
फीस: आवेदन के साथ ₹500 से ₹2,000 तक की एक मामूली फीस जमा करनी होती है। यह फीस हर राज्य में अलग हो सकती है।
सर्टिफिकेट: सभी दस्तावेज़ों की जाँच के बाद, रजिस्ट्रार कार्यालय 1-2 महीनों में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी कर देता है। यह सर्टिफिकेट ही आपकी सोसाइटी की कानूनी पहचान है।
सोसाइटी के फायदे और नुकसान
फायदे:
- आसान पंजीकरण: अन्य विकल्पों की तुलना में सोसाइटी का पंजीकरण अपेक्षाकृत सरल और कम खर्चीला होता है।
- सरकारी अनुदान: सरकार अक्सर सोसाइटी को सामुदायिक परियोजनाओं के लिए अनुदान देना पसंद करती है।
- सामूहिक भागीदारी: यह लोगों के समूह को एक साथ आकर काम करने का एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
नुकसान:
- सख्त रिकॉर्ड-कीपिंग: सोसाइटी को अपनी वार्षिक बैठकों का रिकॉर्ड और वित्तीय विवरण (ऑडिट) नियमित रूप से बनाए रखना होता है, जिसकी जाँच कभी भी हो सकती है।
- नियमितता: पारदर्शिता और नियमों का पालन करना अनिवार्य है। नियमों की अनदेखी करने पर पंजीकरण रद्द हो सकता है।
2 ट्रस्ट (Trust)
ट्रस्ट क्या है?
ट्रस्ट एक ऐसा संगठन है जो Indian Trusts Act, 1882 के तहत काम करता है। इसका मुख्य मकसद किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा दिए गए धन या संपत्ति को धर्मार्थ या कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना है। इसे अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, या गरीबों की मदद करने जैसे कामों के लिए बनाया जाता है।
एक ट्रस्ट में दो मुख्य हिस्से होते हैं:
- ट्रस्टी: वे लोग जो ट्रस्ट को चलाते हैं और संपत्ति का प्रबंधन करते हैं।
- लाभार्थी: वे लोग या समूह जिन्हें ट्रस्ट के काम से फायदा मिलता है।
ट्रस्ट बनाने के लिए क्या चाहिए?
- कम से कम 2 ट्रस्टी: ट्रस्ट चलाने के लिए कम से कम दो लोगों की जरूरत होती है।
- ट्रस्ट डीड (Trust Deed): यह सबसे जरूरी कानूनी दस्तावेज है। इसे ट्रस्ट का संविधान माना जा सकता है। इसमें ट्रस्ट का नाम, उद्देश्य, ट्रस्टियों के नाम, और ट्रस्ट को चलाने के सभी नियम लिखे होते हैं। इसी दस्तावेज में यह भी बताया जाता है कि ट्रस्ट किन उद्देश्यों के लिए काम करेगा, जैसे कि अस्पताल बनाना या स्कूल चलाना।
पंजीकरण की प्रक्रिया
ट्रस्ट का पंजीकरण करना सोसाइटी से थोड़ा अलग है:
- ट्रस्ट डीड नोटरीकृत करें: सबसे पहले, आपको अपनी ट्रस्ट डीड को एक नोटरी पब्लिक से प्रमाणित करवाना होगा।
- सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में पंजीकरण: इसके बाद, आपको अपने शहर के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाना होगा।
- दस्तावेज जमा करें: यहाँ आपको ट्रस्ट डीड की मूल प्रति, सभी ट्रस्टियों के पैन कार्ड, पहचान पत्र और पते के प्रमाण के साथ-साथ एक छोटा सा पंजीकरण शुल्क जमा करना होता है। यह शुल्क आमतौर पर ₹1,000 से ₹5,000 के बीच होता है।
- पंजीकरण पूरा होने पर आपको एक प्रमाणित ट्रस्ट डीड वापस मिलती है, जो आपके ट्रस्ट की कानूनी पहचान होती है।
फायदे और नुकसान
फायदे:
- सरल प्रक्रिया: सोसाइटी की तुलना में ट्रस्ट बनाना थोड़ा आसान है क्योंकि इसमें कम सदस्यों की जरूरत होती है।
- कम सदस्य: केवल दो ट्रस्टियों के साथ भी इसे शुरू किया जा सकता है।
- व्यक्तिगत दान के लिए अच्छा: व्यक्तिगत दानकर्ता अक्सर ट्रस्ट को पसंद करते हैं क्योंकि इसकी संरचना सरल होती है और इसका उद्देश्य साफ होता है।
नुकसान:
सीमित विश्वसनीयता: कुछ बड़ी कंपनियां या कॉर्पोरेट पार्टनरशिप ट्रस्ट के बजाय सेक्शन 8 कंपनी को ज्यादा विश्वसनीय मानती हैं, क्योंकि उनका ढाँचा अधिक औपचारिक होता है। इस वजह से, सीएसआर फंडिंग के लिए ट्रस्टों को थोड़ी मुश्किल हो सकती है।
3 धारा 8 कंपनी (Section 8 Company)
धारा 8 कंपनी क्या है?
धारा 8 कंपनी एक खास तरह का गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका पंजीकरण Companies Act, 2013 के तहत होता है। इसे ‘कंपनी’ इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसका कानूनी ढाँचा एक सामान्य कंपनी जैसा होता है। लेकिन इसका मकसद मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि सामाजिक कल्याण, कला, विज्ञान, धर्म या शिक्षा को बढ़ावा देना है। जो भी मुनाफा होता है, उसे वापस इन्हीं उद्देश्यों पर खर्च किया जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर कुछ पेशेवर लोग मिलकर एक ऐसा संगठन बनाना चाहते हैं जो गाँवों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दे और कॉर्पोरेट जगत से फंडिंग जुटा सके, तो धारा 8 कंपनी उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प है।
पंजीकरण की आवश्यकताएं
धारा 8 कंपनी शुरू करने के लिए कुछ जरूरी चीजें चाहिए:
- कम से कम 2 डायरेक्टर: इसे शुरू करने के लिए कम से कम दो लोगों की जरूरत होती है।
- मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MoA): यह दस्तावेज कंपनी के उद्देश्य और नियमों को बताता है।
- आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA): यह कंपनी के आंतरिक नियमों और कामकाज के तरीकों को बताता है।
पंजीकरण की प्रक्रिया
सोसाइटी और ट्रस्ट की तुलना में, धारा 8 कंपनी का पंजीकरण थोड़ा जटिल होता है, क्योंकि यह सीधे भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs – MCA) के अधीन होता है।
प्रक्रिया और दस्तावेज:
ऑनलाइन आवेदन: आपको एमसीए के पोर्टल पर SPICe+ (Simplified Proforma for Incorporating Company Electronically Plus) फॉर्म भरना होगा। यह एक ऑनलाइन प्रक्रिया है।
आवश्यक दस्तावेज:
- MoA और AoA की प्रतियाँ।
- सभी डायरेक्टर्स के पैन (PAN) कार्ड और पहचान पत्र (आईडी प्रूफ)।
- सभी डायरेक्टर्स का डीआईएन (DIN – Director Identification Number)।
- सभी सदस्यों का डिजिटल सिग्नेचर (Digital Signature)।
- कंपनी के पंजीकृत पते का प्रमाण।
फीस: पंजीकरण के लिए ₹5,000 से ₹10,000 तक की फीस लगती है। यह फीस कंपनी की शेयर पूंजी के हिसाब से बदल सकती है।
पंजीकरण के बाद, आपको समामेलन का प्रमाण पत्र (Certificate of Incorporation) मिलता है, जो कंपनी की कानूनी पहचान होती है।
फायदे और नुकसान
फायदे:
- पेशेवर और विश्वसनीय छवि: धारा 8 कंपनी को ट्रस्ट और सोसाइटी की तुलना में अधिक पेशेवर और विश्वसनीय माना जाता है। इससे बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों और विदेशी फंडर्स के साथ काम करना आसान हो जाता है।
- कॉर्पोरेट फंडिंग: यह सीएसआर (CSR) और विदेशी फंडिंग (FCRA) के लिए एक पसंदीदा विकल्प है।
- सीमित देनदारी: अगर कंपनी पर कोई कर्ज हो तो डायरेक्टर्स की व्यक्तिगत संपत्ति सुरक्षित रहती है।
नुकसान:
- जटिल और लंबी प्रक्रिया: इसका पंजीकरण जटिल है और इसमें अधिक समय और पेशेवर मदद की जरूरत पड़ सकती है।
- उच्च लागत: पंजीकरण फीस और कानूनी प्रक्रियाओं की वजह से यह सोसाइटी और ट्रस्ट की तुलना में महंगा है।
सलाह: अपने उद्देश्य और संसाधनों के आधार पर रजिस्ट्रेशन चुनें। रजिस्ट्रेशन के बाद, एनजीओ के नाम पर PAN Card और बैंक खाता खोलें। बैंक खाता संगठन के नाम पर होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत। अधिक जानकारी के लिए MCA वेबसाइट देखें।
शुरुआती लोगों के लिए भारत में एनजीओ फंडिंग: स्टेप 2 – NITI Aayog के दर्पण पोर्टल पर पंजीकरण
सरकारी अनुदान एनजीओ फंडिंग का सबसे विश्वसनीय स्रोत है। केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न मंत्रालयों के माध्यम से ग्रांट प्रदान करती हैं, जैसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (MSJE), आदिवासी मामलों का मंत्रालय और नीति आयोग। 2025 में, एनजीओ को NITI Aayog के NGO Darpan पोर्टल पर रजिस्टर होना अनिवार्य है।
आवेदन प्रक्रिया:
- NGO Darpan पर रजिस्टर करें और एक यूनिक ID प्राप्त करें।
- संबंधित मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं, जैसे grants-msje.gov.in या ngo.tribal.gov.in।
- ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरें, जिसमें आपके प्रोजेक्ट प्रपोजल, बजट और प्रभाव का पूरा विवरण हो।
- आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें: रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पिछले 3 वर्षों के ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट, पैन (PAN), टैन (TAN) और बैंक डिटेल्स।
- आवेदन जमा करने के बाद, ट्रैकिंग के लिए पोर्टल का उपयोग करें।
पात्रता: आपका एनजीओ कम से कम 3 वर्ष पुराना होना चाहिए, ब्लैकलिस्टेड नहीं होना चाहिए, और आपका प्रोजेक्ट राष्ट्रीय प्राथमिकताओं (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण) से जुड़ा होना चाहिए।
उदाहरण: MSJE के तहत विकलांगों के लिए ग्रांट उपलब्ध हैं।
टिप: समय पर रिपोर्ट सबमिट करें और पारदर्शिता बनाए रखें, अन्यथा अगली फंडिंग प्रभावित हो सकती है।
शुरुआती लोगों के लिए भारत में एनजीओ फंडिंग: स्टेप 3 – 12A और 80G सर्टिफिकेट प्राप्त करें
12A और 80G सर्टिफिकेट क्यों ज़रूरी हैं?
ये दोनों सर्टिफिकेट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से मिलते हैं और एनजीओ के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
- 12A सर्टिफिकेट: यह आपके एनजीओ की कमाई पर इनकम टैक्स की छूट देता है। यानी, अगर आपके एनजीओ को कोई फंड मिलता है, तो उस पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा। यह सर्टिफिकेट आपके संगठन की विश्वसनीयता भी बढ़ाता है।
- 80G सर्टिफिकेट: यह दानकर्ताओं के लिए है। जब कोई व्यक्ति या कंपनी आपके एनजीओ को दान करती है, तो उन्हें उस दान पर टैक्स में छूट मिलती है। 80G सर्टिफिकेट के बिना, दानकर्ता को कोई लाभ नहीं होगा, इसलिए यह सीधे तौर पर आपके फंडिंग के अवसरों को बढ़ाता है।
प्रक्रिया: आपको इनकम टैक्स इंडिया की वेबसाइट पर फॉर्म 10A (12A के लिए) और फॉर्म 10AB (80G के लिए) भरकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके लिए आपको अपने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पैन कार्ड और पिछले सालों के ऑडिट किए गए अकाउंट्स जैसे दस्तावेज चाहिए होते हैं।
भारत में एनजीओ फंडिंग कैसे प्राप्त करें में 12A और 80G सर्टिफिकेट महत्वपूर्ण हैं। ये आयकर विभाग से मिलते हैं और दानकर्ताओं को टैक्स छूट प्रदान करते हैं, जिससे फंडिंग की संभावना बढ़ती है।
- 12A सर्टिफिकेट: एनजीओ की आय को आयकर से छूट देता है। यह संगठन की विश्वसनीयता बढ़ाता है।
- 80G सर्टिफिकेट: दानकर्ताओं को उनके दान पर 50% या 100% टैक्स छूट देता है।
शुरुआती लोगों के लिए भारत में एनजीओ फंडिंग: स्टेप 4 – फंडिंग के लिए सही स्रोत चुनें
फंडिंग के लिए सही स्रोत कैसे चुनें?
सही स्रोत चुनना बहुत जरूरी है क्योंकि हर फंडर की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं।
- सरकारी अनुदान: भारत सरकार कई मंत्रालयों के जरिए एनजीओ को फंड देती है। जैसे, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बच्चों और महिलाओं के लिए मिशन वात्सल्य जैसी योजनाओं के तहत फंड देता है। आपको संबंधित मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर उनकी योजनाओं को देखना चाहिए।
- कॉर्पोरेट सीएसआर: कंपनी एक्ट 2013 के तहत, कंपनियां अपने मुनाफे का 2% हिस्सा सामाजिक कार्यों पर खर्च करती हैं। आप MCA पोर्टल (csr.gov.in) पर जाकर उन कंपनियों को खोज सकते हैं जो आपके काम के क्षेत्र में रुचि रखती हैं।
- विदेशी अनुदान (FCRA): अगर आप विदेशी संस्थाओं से फंड लेना चाहते हैं, तो आपको FCRA 2010 के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो सकती है (6-12 महीने), लेकिन इसके जरिए आप बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसी बड़ी संस्थाओं से जुड़ सकते हैं।
- क्राउडफंडिंग: Ketto और Milaap जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म आपको लोगों से छोटे-छोटे दान जुटाने में मदद करते हैं। यह छोटे और नए एनजीओ के लिए बहुत अच्छा विकल्प है।
टिप्स: योजना की गाइडलाइंस ध्यान से पढ़ें। उदाहरण: मिशन वात्सल्य के लिए WCD वेबसाइट देखें।
कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR)
यह एक ऐसा नियम है जिसके तहत बड़ी कंपनियों को अपने मुनाफे का 2% हिस्सा समाज के लिए खर्च करना होता है। यह पैसा अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण या गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में खर्च किया जाता है।
यह एनजीओ के लिए क्यों ज़रूरी है? यह एनजीओ के लिए फंडिंग का एक बहुत बड़ा और विश्वसनीय स्रोत है। 2023-24 में, कंपनियों ने CSR पर ₹17,967 करोड़ से ज़्यादा खर्च किए थे।

प्रक्रिया को कैसे समझें?
- सही कंपनी खोजें: हर कंपनी अपने पसंदीदा क्षेत्रों में ही खर्च करती है। यह जानने के लिए आप MCA पोर्टल पर जाकर उनका CSR-1 फॉर्म (csr.gov.in) देख सकते हैं। इससे आपको पता चलेगा कि वे किन प्रोजेक्ट्स में रुचि रखते हैं।
- कंपनी की पॉलिसी देखें: कंपनी की अपनी वेबसाइट पर CSR पॉलिसी सेक्शन जरूर देखें। इससे आपको उनकी प्राथमिकताएं और आवेदन करने का तरीका पता चलेगा।
- एक अच्छा प्रपोजल भेजें: आप उन्हें सीधे ईमेल, लिंक्डइन या इवेंट्स के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। आपके पास CSR-1 और 12A/80G जैसे दस्तावेज तैयार होने चाहिए।
- छोटे प्रोजेक्ट से शुरुआत करें: अगर आपका एनजीओ नया है, तो एक छोटी या पायलट प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग मांगना बेहतर होता है। इससे आप कंपनी के साथ एक अच्छा रिश्ता बना सकते हैं और भविष्य में बड़े प्रोजेक्ट के लिए भी फंडिंग पा सकते हैं।
विदेशी अनुदान (FCRA)
FCRA का मतलब है विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010। यह एक ऐसा कानून है जो भारत में एनजीओ को मिलने वाली विदेशी फंडिंग को नियंत्रित करता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी पैसा देश के हित में और सही कामों के लिए ही इस्तेमाल हो।
यह एनजीओ के लिए क्यों ज़रूरी है? अगर आप UNICEF, USAID या बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों से फंड लेना चाहते हैं, तो FCRA रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
प्रक्रिया को कैसे समझें?
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन: आपको fcraonline.nic.in पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।
- सही फॉर्म भरें: अगर आप पहली बार रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, तो आपको फॉर्म FC-3A भरना होगा।
- दस्तावेज: आपको अपने एनजीओ का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ऑडिट किए गए अकाउंट्स और पिछले 3 सालों की एक्टिविटी रिपोर्ट जैसे दस्तावेज अपलोड करने होंगे।
- नियमित रिपोर्टिंग: फंड मिलने के बाद आपको हर साल फॉर्म FC-4 में अपने फंड के उपयोग का विवरण देना होगा।
- समय का ध्यान रखें: इस रजिस्ट्रेशन में 6 से 12 महीने लग सकते हैं, इसलिए समय पर आवेदन करें।
जरूरी बातें:
- आपका एनजीओ कम से कम 3 साल पुराना होना चाहिए।
- आपके एनजीओ को किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए।
क्राउडफंडिंग
क्राउडफंडिंग क्या है?
क्राउडफंडिंग का मतलब है डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके आम जनता से फंड इकट्ठा करना। यह आपके प्रोजेक्ट के लिए एक बड़ी भीड़ (crowd) से पैसा जुटाने जैसा है। 2025 में, भारत में Ketto, Milaap और ImpactGuru जैसे प्लेटफॉर्म बहुत लोकप्रिय हैं। ये प्लेटफॉर्म खास तौर पर सामाजिक कार्यों और मेडिकल इमरजेंसी के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
यह एनजीओ के लिए क्यों फायदेमंद है?
- पहुंच: आप देश और विदेश में कहीं से भी लोगों तक पहुंच सकते हैं।
- कम लागत: अन्य फंडिंग के तरीकों की तुलना में यह सस्ता है।
- पारदर्शिता: दानकर्ता सीधे देख सकते हैं कि उनका पैसा कहाँ जा रहा है।
- छोटे दान: आप बड़े फंडर्स पर निर्भर रहने के बजाय छोटे-छोटे दान स्वीकार कर सकते हैं।
क्राउडफंडिंग की प्रक्रिया
क्राउडफंडिंग की प्रक्रिया बहुत सरल है। यह रहा एक आसान तरीका जिससे आप इसे समझ सकते हैं:
- प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करें: सबसे पहले, आपको अपने एनजीओ के लिए एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाना होगा। आपके पास 80G सर्टिफिकेट होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह दानकर्ताओं को टैक्स में छूट देता है।
- कैंपेन बनाएं: अपने कैंपेन के लिए एक अच्छी कहानी लिखें, एक वीडियो बनाएं और अपने लक्ष्य (target amount) को निर्धारित करें। आपकी कहानी भावनात्मक होनी चाहिए ताकि लोग आपके काम से जुड़ सकें।
- सोशल मीडिया पर शेयर करें: अपने कैंपेन को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर लगातार शेयर करें। अपने दोस्तों, परिवार और समर्थकों से इसे साझा करने के लिए कहें।
- नियमित अपडेट दें: कैंपेन के दौरान, दानकर्ताओं को बताएं कि आपके प्रोजेक्ट में क्या प्रगति हो रही है। इससे उन पर विश्वास बढ़ता है और वे और भी दान करते हैं।
- फीस: ध्यान रखें कि प्लेटफॉर्म आपके जुटाए गए फंड का 5-10% फीस के रूप में लेते हैं।
क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म की तुलना
प्लेटफॉर्म | मुख्य विशेषताएँ | फीस (%) | किसके लिए सबसे अच्छा है? |
Ketto | चिकित्सा और सामाजिक कारणों पर ध्यान केंद्रित। | 5% | मेडिकल इमरजेंसी और व्यक्तिगत केस। |
Milaap | व्यक्तिगत और एनजीओ दोनों के लिए। | 0% (स्वैच्छिक योगदान) | शिक्षा, स्वास्थ्य, और व्यक्तिगत जरूरतों के लिए। |
ImpactGuru | स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सामाजिक कार्यों पर फोकस। | 5-8% | स्वास्थ्य और बड़े सामाजिक प्रोजेक्ट्स के लिए। |
टिप: एक मजबूत भावनात्मक अपील और नियमित पारदर्शिता के साथ, आप क्राउडफंडिंग में बहुत सफल हो सकते हैं।
शुरुआती लोगों के लिए भारत में एनजीओ फंडिंग: स्टेप 5 – एक मज़बूत प्रस्ताव (Proposal) लिखें
प्रस्ताव (Proposal) क्या है और क्यों ज़रूरी है?
एक प्रस्ताव एक ऐसा आधिकारिक दस्तावेज़ है जो आपके एनजीओ और आपकी प्रोजेक्ट के बारे में पूरी जानकारी देता है। यह आपके और फंडर के बीच बातचीत का पहला कदम है। आप इसे अपने काम का ब्लूप्रिंट भी कह सकते हैं। अगर आपका प्रस्ताव प्रभावशाली है, तो फंड मिलने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
प्रस्ताव के मुख्य हिस्से
एक अच्छे प्रस्ताव में ये सभी हिस्से होने चाहिए:
- कवर लेटर (Cover Letter): यह एक पेज का पत्र होता है जो प्रस्ताव की शुरुआत में होता है। इसमें आप फंडर का नाम और प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य संक्षेप में बताते हैं। यह फंडर का ध्यान खींचने का पहला मौका है।
- एग्जीक्यूटिव समरी (Executive Summary): यह 200-300 शब्दों का एक संक्षिप्त सारांश होता है। इसमें आपके पूरे प्रस्ताव का निचोड़ होता है। कई बार, फंडर सिर्फ यही हिस्सा पढ़कर यह तय करते हैं कि आगे पढ़ना है या नहीं।
- परिचय (Introduction): इस हिस्से में आप अपने एनजीओ के बारे में बताते हैं। आपका मिशन क्या है, आपने अब तक क्या काम किया है, और आपकी मुख्य उपलब्धियां क्या हैं।
- समस्या (Problem Statement): यहाँ आप उस सामाजिक समस्या को विस्तार से बताते हैं जिसका आप समाधान करना चाहते हैं। अपनी बात को केवल भावनाओं से नहीं, बल्कि विश्वसनीय डेटा और रिपोर्ट्स से समर्थन दें। जैसे, यूनिसेफ (UNICEF) की शिक्षा पर कोई रिपोर्ट।
- उद्देश्य (Objective): आपके उद्देश्य बहुत स्पष्ट होने चाहिए। SMART का मतलब है कि आपके उद्देश्य Specific (विशिष्ट), Measurable (मापने योग्य), Achievable (प्राप्त करने योग्य), Relevant (प्रासंगिक) और Time-bound (समयबद्ध) होने चाहिए। उदाहरण के लिए, “6 महीनों में 100 बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करना” एक SMART उद्देश्य है।
- कार्य योजना (Work Plan): इस हिस्से में आप बताते हैं कि आप अपने उद्देश्य को कैसे पूरा करेंगे। अपनी योजना को छोटे-छोटे मील के पत्थर (Milestones), जिम्मेदारियों और समय-सीमा में बाँटें।
- बजट (Budget): यह सबसे संवेदनशील हिस्सा है। आपको अपनी सभी लागतों (जैसे वेतन, उपकरण, यात्रा खर्च) को विस्तार से बताना होगा। ध्यान रखें कि फंडर अक्सर प्रशासनिक खर्चों को 15% से कम रखने की सलाह देते हैं।
- टीम (Team): अपनी टीम के सदस्यों का परिचय दें और उनकी योग्यताओं को बताएं। यह दिखाएं कि आपकी टीम प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक चलाने के लिए तैयार है।
- प्रभाव (Impact): बताएं कि आपके प्रोजेक्ट का समाज पर क्या असर होगा। इसे भी मापने योग्य रखें, जैसे “क्षेत्र में साक्षरता दर को 50% तक बढ़ाना।”
- निष्कर्ष (Conclusion): अंत में, आप फंडर से समर्थन की अपील करते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनका योगदान कितना महत्वपूर्ण होगा।
कुछ ज़रूरी टिप्स
- संक्षेप में लिखें: प्रस्ताव 5-10 पेज से ज़्यादा बड़ा न हो।
- सरल भाषा का प्रयोग करें: भाषा सरल और समझने में आसान होनी चाहिए, लेकिन पेशेवर भी।
- नवीनतम डेटा का उपयोग करें: अपने दावों को मजबूत बनाने के लिए हमेशा नए डेटा और रिपोर्ट का उपयोग करें।
स्टेप 6: आवेदन कैसे करें और संपर्क बनाए रखें?
प्रपोजल तैयार करने के बाद, अब उसे सही जगह पर भेजना है।
- ऑनलाइन आवेदन: सरकारी मंत्रालयों या बड़ी कंपनियों के लिए, ऑनलाइन आवेदन करना ही सबसे अच्छा तरीका है। आप उनके पोर्टल पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं और अपने सारे दस्तावेज़ जैसे प्रपोजल, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और ऑडिटेड अकाउंट्स अपलोड कर सकते हैं।
- सीधे संपर्क: छोटे फंडर्स या स्थानीय कंपनियों के लिए, सीधे ईमेल या व्यक्तिगत मीटिंग ज्यादा असरदार होती है। आप अपने प्रपोजल के साथ एक संक्षिप्त पिच (short pitch) भी भेज सकते हैं।
- फॉलो-अप: आवेदन भेजने के बाद, 1-2 सप्ताह तक इंतज़ार करें। अगर जवाब नहीं आता है, तो एक विनम्र ईमेल या कॉल करके पूछें कि आपके आवेदन की स्थिति क्या है। यह दिखाता है कि आप गंभीर और समर्पित हैं।
स्टेप 7: क्राउडफंडिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग
- प्लेटफॉर्म: Milaap, Ketto और ImpactGuru जैसे प्लेटफॉर्म आपको आम लोगों से दान जुटाने में मदद करते हैं।
- प्रक्रिया: सबसे पहले, 80G सर्टिफिकेट के साथ प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करें। फिर, एक भावनात्मक कहानी के साथ एक आकर्षक कैंपेन बनाएं, जिसमें वीडियो और तस्वीरें शामिल हों। इसे सोशल मीडिया (जैसे X, Instagram) पर लगातार शेयर करें और दान करने वाले लोगों को नियमित रूप से अपडेट दें।
- टिप: छोटे लक्ष्य से शुरू करें (जैसे ₹1 लाख) और दानदाताओं को धन्यवाद नोट भेजें। ध्यान रखें कि प्लेटफॉर्म फंड का 5-10% फीस के रूप में लेते हैं।
स्टेप 8: FCRA रजिस्ट्रेशन अगर विदेशी फंडिंग चाहिए
विदेशी फंडिंग के लिए, FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
- प्रक्रिया: आपको fcraonline.nic.in पर जाकर फॉर्म FC-3A (नए रजिस्ट्रेशन के लिए) या FC-3C (रिन्यूअल के लिए) भरना होगा। इसके साथ ही, रजिस्ट्रेशन, ऑडिटेड अकाउंट्स और एक्टिविटी रिपोर्ट जैसे दस्तावेज़ भी जमा करने होंगे।
- टिप: यह प्रक्रिया 6-12 महीने लंबी हो सकती है, इसलिए समय रहते आवेदन करें। आपका एनजीओ कम से कम 3 साल पुराना होना चाहिए और किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए।
स्टेप 9: नेटवर्किंग और पार्टनरशिप बनाएं
फंडिंग सिर्फ आवेदन भेजने तक सीमित नहीं है। सही लोगों से जुड़ना बहुत जरूरी है।
- नेटवर्किंग: एनजीओ इवेंट्स और कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लें। LinkedIn पर फंडर्स और कॉर्पोरेट अधिकारियों से जुड़ें।
- पार्टनरशिप: अन्य एनजीओ के साथ मिलकर काम करें या कंपनियों के साथ साझेदारी करें। इससे आप बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकते हैं और ज्यादा फंड आकर्षित कर सकते हैं।
- टिप: अपनी एक पेशेवर ऑनलाइन प्रोफाइल बनाएं और अपने काम को लगातार साझा करें।
स्टेप 10: पारदर्शिता और रिपोर्टिंग बनाए रखें
फंड मिलने के बाद भी आपका काम खत्म नहीं होता। पारदर्शिता सबसे जरूरी है।
- नियमित रिपोर्टिंग: हर साल अपने अकाउंट्स का ऑडिट कराएं। फंडर्स को नियमित रूप से प्रोग्रेस रिपोर्ट भेजें।
- पोर्टल पर रिटर्न फाइल करें: दर्पण पोर्टल और FCRA पोर्टल पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट समय पर फाइल करें।
- टिप: अपने फंड का उपयोग सिर्फ उन उद्देश्यों के लिए करें जिनके लिए वे दिए गए थे।
चुनौतियां और समाधान
फंडिंग की प्रक्रिया में कई चुनौतियां आती हैं।
- कागजी कार्रवाई: यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है। समाधान यह है कि आप एक पेशेवर चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की मदद लें।
- अस्वीकृति: कई बार प्रपोजल रिजेक्ट हो सकते हैं। इसका समाधान यह है कि आप फीडबैक मांगें, सुधार करें और फिर से कोशिश करें।
- केस स्टडी: गूंज (Goonj) जैसी संस्थाओं ने क्राउडफंडिंग और सीएसआर से लाखों जुटाए हैं, जो उनकी पारदर्शिता और मजबूत प्रपोजल के कारण संभव हुआ।
निष्कर्ष: भारत में एनजीओ फंडिंग कैसे प्राप्त करें
भारत में एनजीओ फंडिंग कैसे प्राप्त करें अब इतना मुश्किल नहीं अगर आप इन 10 कदमों को फॉलो करें। रजिस्ट्रेशन से शुरू करें, दर्पण और FCRA जैसे पोर्टलों का उपयोग करें, मजबूत प्रपोजल बनाएं और सही स्रोत चुनें। 2025 में डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे क्राउडफंडिंग और नेटवर्किंग के नए अवसर हैं। धैर्य, पारदर्शिता और मेहनत से आप अपने एनजीओ के लिए फंडिंग जुटा सकते हैं।