Neural Matching – Google Ranking Signal

Google Neural Matching Ranking Signal

Google अपने सर्च रिजल्ट्स को अधिक सटीक और रेलेवेंट बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसी प्रयास के तहत, Google ने अपने रैंकिंग एल्गोरिदम में न्यूरल मैचिंग जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी को शामिल किया है। Neural Matching जो कि 2018 में Google द्वारा पेश की गई थी। यह एक प्रकार की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक है, जिसका इस्तेमाल Google यह समझने के लिए करता है कि यूजर्स द्वारा खोजी जाने वाली क्वेरी का सही मतलब क्या है और किन वेब पेजों से इसका संबंध है। न्यूरल मैचिंग, मशीन लर्निंग की एक शाखा है, जो कंप्यूटर को मानव मस्तिष्क की तरह सोचने और सीखने में सक्षम बनाती है। इस ब्लॉग में, हम न्यूरल मैचिंग के बारे में विस्तार से जानेंगे और यह कैसे Google के रैंकिंग सिग्नल को प्रभावित करता है।

Google’s Core Ranking Systems

  1. BERT: Bidirectional Encoder Representations from Transformers
  2. Crisis information systems
  3. Deduplication systems
  4. Exact match domain system
  5. Freshness systems
  6. Link analysis systems and PageRank
  7. Local news systems
  8. MUM
  9. Neural matching
  10. Original content systems
  11. Removal-based demotion systems
  12. Passage ranking system
  13. RankBrain
  14. Reliable information systems
  15. Reviews system
  16. Site diversity system
  17. Spam detection systems

Neural Matching क्या है?

न्यूरल मैचिंग, आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (ANN) का उपयोग करके सर्च क्वेरी और वेब पेज के बीच संबंध स्थापित करने की एक प्रक्रिया है। ANN, मानव मस्तिष्क के न्यूरॉन्स की तरह काम करते हैं और वे डेटा के पैटर्न को पहचानने और सीखने में सक्षम होते हैं। न्यूरल मैचिंग में, ANN खोज क्वेरी और वेब पेज के शब्दों के बीच अर्थगत संबंधों (Semantic relations) को समझने के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं।

यह क्वेरी और वेब पेज की सामग्री के बीच के “संपर्क” (connections) को समझने के लिए न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करता है। इसे अक्सर “सुपर सिंनोम्स” के रूप में भी कहा जाता है, क्योंकि यह Google को न केवल शब्दों का सीधा अर्थ समझने में मदद करता है, बल्कि उस क्वेरी का व्यापक संदर्भ भी समझाता है।

मान लीजिए, एक यूजर Google पर “How to fix bright photos?” सर्च करता है। इस क्वेरी का सतही अर्थ यह हो सकता है कि यूजरयह जानना चाहता है कि अत्यधिक उज्ज्वल (overexposed) तस्वीरों को कैसे ठीक किया जाए। लेकिन Google का Neural Matching सिस्टम इस क्वेरी को इस संदर्भ में भी समझ सकता है कि यूजर संभवतः फोटो एडिटिंग सॉफ्टवेयर जैसे Photoshop या Lightroom में exposure, brightness या contrast के एडजस्टमेंट की जानकारी खोज रहा है, ताकि वह तस्वीर को सही तरीके से एडिट कर सके। Neural Matching यह समझ सकता है कि “fix bright photos” का मतलब फोटो को एडिट करने से संबंधित जानकारी देना है, न कि फोटोग्राफी उपकरण या कैमरा सेटिंग्स की समस्याओं को हल करना।

Neural Matching कैसे काम करता है?

Neural Matching एक प्रकार की मशीन लर्निंग तकनीक है, जिसमें क्वेरी और वेब पेजों के बीच शब्दों और विचारों के बीच के संबंधों को समझने के लिए एक विशाल डेटा सेट का उपयोग किया जाता है। इस प्रोसेस में कुछ प्रमुख चरण होते हैं:

  1. सिनोनिम और समानार्थी शब्दों की पहचान: न्यूरल नेटवर्क, खोज क्वेरी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के समानार्थी शब्दों और सिनोनिम को पहचान सकते हैं। इससे Google को उन वेब पेजों को रैंक करने में मदद मिलती है जिनमें समान अर्थ वाले शब्द हैं, भले ही वे शब्द खोज क्वेरी में इस्तेमाल नहीं किए गए हों।
  2. संदर्भ को समझना: यह सिस्टम न केवल शब्दों का मतलब देखता है, बल्कि उनके पीछे की मंशा (intent) को भी पहचानता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति “green apple” सर्च करता है, तो Neural Matching यह पहचान सकता है कि वह फल की बजाय टेक्नोलॉजी ब्रांड ‘Apple’ के किसी प्रोडक्ट के बारे में बात कर रहा हो सकता है।
  3. क्वेरी और सामग्री के बीच लिंक करना: Neural Matching Google को इस बात में सक्षम बनाता है कि वह क्वेरी को किसी पेज से जोड़ सके, भले ही उस पेज पर वह क्वेरी स्पष्ट रूप से न लिखी गई हो। यह एल्गोरिथ्म उन शब्दों को पहचानने और समझने के लिए न्यूरल नेटवर्क्स का उपयोग करता है जो सामान्यतः एक जैसे या संबंधित अर्थ रखते हैं।
  4. long-tail keywords को समझना: न्यूरल नेटवर्क, long-tail keywords को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। इससे Google को उन वेब पेजों को रैंक करने में मदद मिलती है जो अधिक विशिष्ट खोजों के लिए प्रासंगिक हैं।

Neural Matching का SEO और रैंकिंग पर प्रभाव

SEO के संदर्भ में, Neural Matching ने वेबसाइट रैंकिंग को प्रभावित करने वाले कई पारंपरिक कारकों में सुधार किया है। अब केवल keywords stuffing या मेटा टैग्स का सही उपयोग ही रैंकिंग के लिए पर्याप्त नहीं है। Google अब यह देखने के लिए Neural Matching का उपयोग करता है कि वेबसाइट की सामग्री वास्तव में उपयोगकर्ता की क्वेरी के पीछे के इरादे से मेल खाती है या नहीं। इससे निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं:

  1. अधिक quality content की आवश्यकता: अब केवल keywords का सही इस्तेमाल ही पर्याप्त नहीं है। आपको ऐसी कंटेंट बनाने की आवश्यकता है जो यूजर्स के इरादे को समझे और उसका समाधान प्रदान करे। Neural Matching यह सुनिश्चित करता है कि High quality कंटेंट ही रैंकिंग में ऊपर आएगी, भले ही उसमें सही keywords का इस्तेमाल कम हो।
  2. Accuracy and relevance: Google अब आपकी वेबसाइट पर दी गई सामग्री की Accuracy और relevancy को बहुत महत्व देता है। इसलिए, यदि आपका कंटेंट यूजर्स के प्रश्नों का सटीक उत्तर देती है, तो आपकी वेबसाइट की रैंकिंग में सुधार हो सकता है।
  3. भ्रामक तकनीकों की समाप्ति: पारंपरिक एसईओ तकनीकों जैसे कि कीवर्ड स्टफिंग और ब्लैक हैट एसईओ तकनीकों को Neural Matching ने अप्रासंगिक बना दिया है। अब Google आपके पेज की कंटेंट क्वालिटी और उसके यूजर्स की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता पर ध्यान देता है।

Neural Matching और BERT के बीच अंतर

Neural Matching और BERT (Bidirectional Encoder Representations from Transformers) दोनों ही Google के सर्च एल्गोरिदम में उपयोग किए जाने वाले AI-आधारित मॉडल हैं, लेकिन उनके काम करने के तरीके और उपयोग में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझें:

मुख्य उद्देश्य और कार्यप्रणाली:

Neural Matching:

Neural Matching का उद्देश्य क्वेरी और वेब पेज के बीच गहरे संबंधों को समझना है। यह क्वेरी और पेज पर उपयोग किए गए शब्दों के बजाय उनके पीछे के “कंसेप्ट्स” या विचारों को पहचानता है।

यह उन मामलों में अधिक सहायक है जब उपयोगकर्ता की क्वेरी में अस्पष्टता या “fuzziness” हो, या जब कीवर्ड और वेब पेज के बीच सीधे मेल न हो। यह broader connections को समझने के लिए neural networks का उपयोग करता है।

उदाहरण: अगर कोई “what’s the movie where the guy loses his memory” खोजता है, तो Neural Matching यह समझ सकता है कि यह खोज “Memento” फिल्म से संबंधित हो सकती है, भले ही इस क्वेरी में ‘Memento’ का उल्लेख न हो।

BERT:

BERT का फोकस भाषा के गहन और बारीक समझ पर है। यह क्वेरी के प्रत्येक शब्द के संदर्भ को समझता है और शब्दों के बीच संबंधों को पहचानता है। BERT शब्दों के क्रम और उनके आस-पास के शब्दों के आधार पर क्वेरी को गहराई से समझने में सक्षम है।

इसका मुख्य उपयोग प्रीपोजिशन (जैसे “for,” “to,” “from”) जैसे शब्दों का सही अर्थ समझने में है, ताकि सर्च क्वेरी का सही संदर्भ निकाला जा सके।

उदाहरण: अगर कोई “train to London from Paris” सर्च करता है, तो BERT यह समझने में मदद करता है कि उपयोगकर्ता Paris से London जाने वाली ट्रेन के बारे में जानकारी चाहता है, न कि London से Paris जाने वाली।

क्वेरी की समझ:

Neural Matching:

Neural Matching पूरे क्वेरी या पेज की सामान्य अवधारणा (concept) को देखता है और संबंधित सामग्री को ढूंढता है। यह सिस्टम शब्दों के पर्यायवाची (synonyms) और समानार्थी विचारों को पहचानने पर आधारित है, जिससे fuzzy या अस्पष्ट क्वेरीज़ का भी अर्थ निकाला जा सके।

BERT:

BERT शब्दों और वाक्यों की गहरी समझ पर काम करता है। यह शब्दों के बीच के छोटे-छोटे अंतर और उनके सही उपयोग को पहचानता है। खासकर, यह क्वेरी के भीतर के छोटे शब्दों और उनके प्रभावों को ध्यान में रखता है, जिससे वाक्य का सही अर्थ निकालने में मदद मिलती है।

कब उपयोग होता है:

Neural Matching:

इसे क्वेरी और वेब पेजों के बीच बड़े पैमाने पर संबंधों को समझने और fuzzy queries के लिए सही सामग्री ढूंढने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह तब उपयोगी होता है जब उपयोगकर्ता को खुद नहीं पता होता कि उसे क्या सर्च करना चाहिए।

BERT:

यह तब उपयोगी होता है जब सटीकता और शब्दों के क्रम की समझ महत्वपूर्ण हो। यह विशेष रूप से तब काम आता है जब क्वेरी में प्रीपोजिशन या संदर्भ के आधार पर शब्दों का मतलब बदलता है।

प्रभाव:

यह क्वेरी के बहुत ही सटीक और context-based परिणाम प्रदान करने में मदद करता है, खासकर जब क्वेरी लंबी हो और उसमें कई छोटे शब्दों का सही क्रम मायने रखता हो।

Neural Matching:

यह क्वेरी और कंटेंट के बीच संबंधों को समझकर उपयोगकर्ता को अधिक प्रासंगिक और व्यापक परिणाम देने में मदद करता है। यह ऐसी स्थितियों में अच्छा काम करता है जहां सटीक कीवर्ड का प्रयोग नहीं किया गया हो।

BERT:

यह क्वेरी के बहुत ही सटीक और context-based परिणाम प्रदान करने में मदद करता है, खासकर जब क्वेरी लंबी हो और उसमें कई छोटे शब्दों का सही क्रम मायने रखता हो।

SEO के लिए Neural Matching को कैसे अपनाएं?

SEO (Search Engine Optimization) में Neural Matching को अपनाने का मतलब है कि आप अपनी वेबसाइट और कंटेंट को इस तरीके से तैयार करें जिससे Google का Neural Matching सिस्टम उसे आसानी से समझ सके और यूजर्स की क्वेरी के अनुरूप उसे रैंक कर सके। चूंकि Neural Matching कीवर्ड्स के बजाय पूरे क्वेरी और कंटेंट के broader context और concepts को समझता है, इसलिए SEO के लिए कुछ रणनीतियां अपनानी चाहिए। यहां बताया गया है कि आप SEO में Neural Matching का लाभ कैसे उठा सकते हैं:

यूजर के इरादे (User Intent) को समझें:

Neural Matching मुख्य रूप से यूजर्स की क्वेरी के पीछे के इरादे (intent) को समझने पर काम करता है। इसलिए, कंटेंट तैयार करते समय आपको सिर्फ कीवर्ड्स पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि यह समझना चाहिए कि यूजर वास्तव में क्या ढूंढ रहा है।

उदाहरण: अगर कोई “best laptop for programming” सर्च करता है, तो यूजर प्रोग्रामिंग के लिए सही लैपटॉप की विशेषताएं, कीमत, और सुझाव जानना चाहता है। इस क्वेरी के पीछे के इरादे को समझकर आप एक उपयोगी गाइड तैयार कर सकते हैं।

Relevant और high-quality content तैयार करें:

Google का Neural Matching सिस्टम कीवर्ड्स के बजाय व्यापक विचारों और कंसेप्ट्स को समझता है। इसलिए, आपको यूजर की समस्या को हल करने के लिए गहन और जानकारीपूर्ण कंटेंट तैयार करनी चाहिए, जो सिर्फ सर्च इंजनों के लिए नहीं बल्कि वास्तविक यूजर्स के लिए फायदेमंद हो।

सुनिश्चित करें कि आपका कंटेंट यूजर्स के सवालों का पूरा और स्पष्ट उत्तर दे रहा हो।

उदाहरण: “how to improve website speed” सर्च करने वाले यूजर्स के लिए, वेबसाइट स्पीड बढ़ाने के तरीके जैसे कि इमेज ऑप्टिमाइजेशन, CSS और जावा स्क्रिप्ट के मिनिफिकेशन आदि पर विस्तार से जानकारी दें।

सिर्फ कीवर्ड्स पर निर्भर न रहें (Use Synonyms and Related Terms):

चूंकि Neural Matching पर्यायवाची (synonyms) और समानार्थक शब्दों को भी समझता है, इसलिए अपनी सामग्री में सिर्फ एक ही कीवर्ड बार-बार इस्तेमाल करने के बजाय उससे संबंधित शब्द और वाक्यांशों का भी इस्तेमाल करें।

इससे Google आपकी सामग्री को क्वेरी से बेहतर तरीके से मैच कर पाएगा, भले ही उपयोगकर्ता आपके द्वारा इस्तेमाल किए गए exact कीवर्ड को सर्च न कर रहा हो।

उदाहरण: यदि आपका कीवर्ड है “best running shoes,” तो आप “top footwear for running,” “athletic shoes for runners,” या “ideal jogging shoes” जैसे शब्दों का भी उपयोग कर सकते हैं।

कंटेंट के स्ट्रक्चर पर ध्यान दें (Focus on Content Structure)

स्पष्ट हेडिंग्स (H1, H2, H3) और अच्छी तरह से स्ट्रक्चर्ड पैराग्राफ के साथ एक आसान नेविगेशन वाली सामग्री तैयार करें। यह Google को आपके कंटेंट की संरचना को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।

FAQs, bullet points, और numbered lists का उपयोग करें ताकि कंटेंट पढ़ने में आसान हो और खोज इंजनों द्वारा समझा जा सके।

उदाहरण: “how to fix a slow computer” जैसे विषय पर लिखते समय, आप स्पष्ट हेडिंग्स जैसे “Increase RAM,” “Uninstall Unnecessary Programs,” और “Optimize Startup Programs” का उपयोग कर सकते हैं।

टॉपिक्स पर गहराई से काम करें (Cover Topics in Depth):

Google अब अधिक In-depth content को प्राथमिकता देता है जो किसी विषय के सभी पहलुओं को कवर करती है। इसलिए, अपने विषय पर Extensive research करें और सुनिश्चित करें कि आप अपने विषय को जितना हो सके उतना विस्तार से कवर करें।

लंबी, Long, in-depth content Google के लिए यह समझने में मदद करती है कि आप उस विषय के बारे में कितनी अच्छी तरह जानकारी दे रहे हैं।

उदाहरण: अगर आप “social media marketing strategies” पर लिख रहे हैं, तो आपको Facebook, Instagram, LinkedIn, और अन्य प्लेटफार्म्स के लिए अलग-अलग रणनीतियों पर भी जानकारी देनी चाहिए।

यूजर एक्सपीरियंस (User Experience – UX) पर ध्यान दें:

Neural Matching का उपयोग करने के लिए आपकी वेबसाइट का UX भी महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि आपकी वेबसाइट मोबाइल फ्रेंडली, तेज, और आसानी से नेविगेट करने योग्य हो। एक बेहतरीन यूजर एक्सपीरियंस वेबसाइट पर उपयोगकर्ताओं को अधिक समय तक बनाए रख सकता है और इससे Google आपकी वेबसाइट को अधिक रिलेवेंट मान सकता है।

कंटेंट अपडेट करते रहें (Keep Content Fresh and Updated):

समय-समय पर अपनी पुरानी कंटेंट को अपडेट करें ताकि यह हमेशा रिलेवेंट बनी रहे। Google नई और ताजा जानकारी को प्राथमिकता देता है, और Neural Matching सिस्टम भी आपकी सामग्री को क्वेरी के साथ बेहतर तरीके से जोड़ने के लिए उसे समझ सकता है।

उदाहरण: अगर आपकी साइट पर “SEO Trends for 2020” पर ब्लॉग है, तो उसे “SEO Trends for 2024” के लिए अपडेट करें ताकि यह ट्रेंड्स के बारे में नवीनतम जानकारी प्रदान करे।

विविध कंटेंट फॉर्मेट्स का उपयोग करें (Utilize Different Content Formats):

केवल टेक्स्ट कंटेंट पर निर्भर न रहें। इमेज, वीडियो, इन्फोग्राफिक्स, और अन्य मीडिया फॉर्मेट्स का भी उपयोग करें। इससे आपका कंटेंट Google के लिए और अधिक आकर्षक और रेलेवेंट बनेगी, खासकर जब यूजर्स मल्टीमीडिया कंटेंट की तलाश कर रहे हों।

उदाहरण: “how to bake a cake” पर एक गाइड में, आप टेक्स्ट के साथ-साथ स्टेप-बाय-स्टेप वीडियो या इमेजेस भी शामिल कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

Neural Matching ने SEO की दुनिया में एक बड़ा बदलाव लाया है, क्योंकि यह केवल कीवर्ड्स पर निर्भर नहीं रहता, बल्कि क्वेरी और कंटेंट के पीछे के गहरे कंसेप्ट्स और इरादों को समझता है। SEO के लिए Neural Matching को अपनाने का मतलब है कि आप अपने कंटेंट को यूजर्स की जरूरतों और इरादों के आधार पर तैयार करें, न कि केवल कीवर्ड्स की उपस्थिति पर।

इसके लिए आपको यूजर्स के इरादे पर ध्यान देना,High-quality and in-depth content तैयार करना, और विविध कंटेंट फॉर्मेट्स का उपयोग करना होगा। Relevant, detailed, and user-focused content बनाकर, आप Google की Neural Matching तकनीक को अपनी वेबसाइट के पक्ष में उपयोग कर सकते हैं, जिससे आपकी वेबसाइट की सर्च रैंकिंग और User Experience में सुधार होगा।

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