Link Analysis Systems and Page Rank Algorithm: Google Ranking Signal Series -6

Link Analysis Systems and Page Rank Algorithm: Google Ranking Signal Series -6 1

जब हम गूगल पर कोई सर्च करते हैं, तो हमें लाखों वेबसाइटों में से सबसे प्रासंगिक परिणाम मिलते हैं। लेकिन गूगल यह कैसे तय करता है कि कौन सी वेबसाइट सबसे पहले दिखाई देगी? इसका जवाब है – लिंक एनालिसिस सिस्टम (Link Analysis Systems) और पेज रैंक एल्गोरिथ्म (Page Rank Algorithm)। ये दोनों मिलकर गूगल को यह समझने में मदद करते हैं कि कौन सी वेबसाइट किस विषय पर सबसे अधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय है।

इस लेख में हम जानेंगे कि Link Analysis Systems और Page Rank Algorithm कैसे काम करते हैं, इनका आपकी वेबसाइट की SEO पर क्या प्रभाव पड़ता है, और आप इन्हें कैसे अनुकूलित कर सकते हैं।

यदि आप Google Ranking Signals के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो हम आपके लिए Google द्वारा शेयर किए गए Google Ranking Signal पर Series पेश करते हैं। इन संकेतों को समझना आपके SEO अभियान को मजबूत बनाने में मदद करेगा।

Google’s Core Ranking Systems

  1. BERT:  Bidirectional Encoder Representations from Transformers
  2. Crisis information systems
  3. Deduplication systems
  4. Exact match domain system
  5. Freshness systems
  6. Link analysis systems and PageRank
  7. Local news systems
  8. MUM
  9. Neural matching
  10. Original content systems
  11. Removal-based demotion systems
  12. Passage ranking system
  13. RankBrain
  14. Reliable information systems
  15. Reviews system
  16. Site diversity system
  17. Spam detection systems

लिंक एनालिसिस सिस्टम (Link Analysis Systems) क्या है?

लिंक एनालिसिस सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जो वेब पेजों के बीच के लिंक को एनालाइज करता है। यह देखता है कि कौन से पेज दूसरे पेजों से कितनी बार लिंक किए गए हैं। इस आधार पर यह अनुमान लगाता है कि कौन सा पेज ज्यादा महत्वपूर्ण है।

क्यों है लिंक एनालिसिस महत्वपूर्ण?

  • प्रामाणिकता: अगर कई अन्य वेबसाइटें किसी एक वेबसाइट को लिंक करती हैं, तो इसका मतलब है कि उस वेबसाइट की जानकारी विश्वसनीय है।
  • प्रासंगिकता: अगर एक वेबसाइट दूसरे वेबसाइट को लिंक करती है, तो इसका मतलब है कि दोनों वेबसाइटें एक ही विषय से संबंधित हैं।

पेज रैंक एल्गोरिथ्म (PageRank Algorithm) क्या है?

पेज रैंक एल्गोरिथ्म लिंक एनालिसिस सिस्टम का ही एक हिस्सा है। यह एक गणितीय फॉर्मूला है जो यह निर्धारित करता है कि किसी वेब पेज का रैंक कितना होगा। यह फॉर्मूला कई कारकों को ध्यान में रखता है, जैसे:

  • इनकमिंग लिंक्स: किसी पेज को कितने अन्य पेज लिंक करते हैं।
  • आउटगोइंग लिंक्स: किसी पेज से कितने अन्य पेज लिंक किए गए हैं।
  • लिंक का गुणवत्ता: लिंक करने वाले पेज की खुद की रैंक क्या है।

पेज रैंक कैसे काम करता है? पेज रैंक एक रैंडम सर्फ़र मॉडल पर आधारित है। इस मॉडल के अनुसार, एक इंटरनेट यूजर एक पेज से दूसरे पेज पर रैंडमली जाता है। जिन पेजों पर यूजर अधिक समय बिताता है, उन पेजों को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

लिंक एनालिसिस सिस्टम और पेज रैंक एल्गोरिथ्म का महत्व

  • SEO: SEO (Search Engine Optimization) में लिंक बिल्डिंग एक महत्वपूर्ण कारक है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी वेबसाइट गूगल में ऊपर रैंक करे, तो आपको अपनी वेबसाइट के लिए गुणवत्तापूर्ण बैकलिंक्स बनाने होंगे।
  • यूजर एक्सपीरियंस: लिंक एनालिसिस सिस्टम और पेज रैंक एल्गोरिथ्म गूगल को यह समझने में मदद करते हैं कि कौन सी वेबसाइट यूजर्स के लिए सबसे प्रासंगिक है। इससे यूजर्स को बेहतर खोज परिणाम मिलते हैं।

लिंक एनालिसिस सिस्टम और पेज रैंक एल्गोरिथ्म का इतिहास

Link Analysis System और Page Rank Algorithm का इतिहास बेहद रोचक और महत्वपूर्ण है। ये दोनों प्रणाली वेब पेजों की रैंकिंग के क्षेत्र में क्रांति लेकर आईं। Google की सफलता में इनका खास योगदान है। आइए इनके इतिहास को विस्तार से समझते हैं:

Link Analysis System का इतिहास

Link Analysis System की शुरुआत से पहले, सर्च इंजन केवल कीवर्ड मिलान और उनकी आवृत्ति पर आधारित होते थे। इससे कीवर्ड स्टफिंग और सर्च इंजनों को आसानी से धोखा देना संभव था।

शुरुआती प्रयास:

1996 में, Robin Li Yanhong ने Randex Algorithm विकसित किया, जो दुनिया का पहला Link Analysis System था। Randex Algorithm यह देखता था कि किसी वेबसाइट को कितने अन्य वेबसाइटें लिंक कर रही हैं। जितने अधिक पेज किसी वेबसाइट को लिंक करते थे, उसकी रैंक उतनी ही ऊँची होती थी। इसने वेबसाइटों के बीच संबंधों को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया। Robin Li बाद में Baidu नाम का सर्च इंजन बनाने के लिए जाने गए, जो आज चीन में प्रमुख सर्च इंजन है।

Link Analysis का महत्व:

इस प्रणाली ने यह दिखाया कि केवल कीवर्ड नहीं, बल्कि किसी पेज की लिंक संरचना और उस पेज को प्राप्त होने वाले बैकलिंक्स भी उस पेज की रैंकिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सिस्टम सर्च इंजनों को पेज की वास्तविक प्रासंगिकता और गुणवत्ता को मापने का एक नया तरीका प्रदान करता है।

PageRank Algorithm का इतिहास

1998 में, Google के संस्थापक Larry Page और Sergey Brin ने Link Analysis की अवधारणा को और विकसित किया और PageRank Algorithm बनाया। यह एक उन्नत प्रणाली थी जो न केवल लिंक की संख्या देखती थी, बल्कि उन लिंक की गुणवत्ता और महत्व को भी मापती थी।

PageRank का आविष्कार:

Google के संस्थापक Larry Page और Sergey Brin, Stanford University में PhD कर रहे थे। उन्होंने यह समझा कि अगर किसी वेबसाइट को प्रतिष्ठित और उच्च-गुणवत्ता वाली वेबसाइटों से लिंक मिल रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उस वेबसाइट की खुद की विश्वसनीयता और प्रासंगिकता भी अधिक है। इसी विचार पर आधारित PageRank Algorithm ने वेब पेजों को रैंक करने का एक अनूठा तरीका प्रस्तुत किया।

PageRank Algorithm ने लिंक को केवल संख्या के रूप में नहीं देखा, बल्कि इस बात का आकलन किया कि कौन से पेज लिंक कर रहे हैं और वे पेज खुद कितने विश्वसनीय और प्रतिष्ठित हैं। इसने वेबसाइटों के रैंकिंग सिस्टम में गुणवत्ता का एक नया मापदंड जोड़ा।

दिलचस्प तथ्य:

  • PageRank Algorithm का नाम Larry Page के नाम पर रखा गया है, और यह वेब पेजों की “रैंकिंग” को भी संदर्भित करता है।
  • PageRank का इस्तेमाल Google की शुरुआत से ही किया गया और इसने Google को सर्च इंजन इंडस्ट्री में अन्य सभी से आगे ला खड़ा किया।
  • इस एल्गोरिथ्म के आविष्कार के बाद Google ने सर्च रिजल्ट्स को पहले के मुकाबले बहुत बेहतर और प्रासंगिक बना दिया।
  • Baidu, चीन का सबसे बड़ा सर्च इंजन, Randex Algorithm पर आधारित है, जो PageRank से पहले विकसित हुआ था और लिंक एनालिसिस की मूल अवधारणा पेश करता है।

PageRank की सफलता और विकास

1998 में जब Google ने इसे लागू किया, तो यह बहुत जल्दी अन्य सर्च इंजनों के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय हो गया। इसका कारण था कि PageRank ने वेबसाइटों की रैंकिंग को निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाया। यह स्पैम और कीवर्ड स्टफिंग से बचने में मददगार साबित हुआ।

जैसे-जैसे समय बीतता गया, Google ने PageRank में सुधार किए। उन्होंने Random Surfer Model को पेश किया, जो यह बताता था कि कोई उपयोगकर्ता किसी पेज पर कैसे पहुँचता है। इसके साथ ही, Damping Factor को जोड़ा गया ताकि Google का एल्गोरिथ्म एक ही क्लस्टर में फंसा न रहे और अधिक विविध पेजों को भी एक्सप्लोर कर सके।

रैंडम सर्फ़र मॉडल (Random Surfer Model)

Random Surfer Model एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसका उपयोग PageRank Algorithm को समझने और सुधारने के लिए किया जाता है। यह मॉडल Google के सर्च इंजन एल्गोरिदम का एक हिस्सा है और यह किसी वेब पेज की रैंकिंग को निर्धारित करने में मदद करता है। चलिए विस्तार से समझते हैं कि यह मॉडल क्या है और कैसे काम करता है।

Random Surfer Model क्या है ?

Random Surfer Model का उद्देश्य यह समझाना है कि एक उपयोगकर्ता, जो वेब पर बिना किसी विशिष्ट लक्ष्य के रैंडम तरीके से ब्राउज़ करता है, कैसे वेब पेजों पर नेविगेट करता है। यह मॉडल यह मानता है कि उपयोगकर्ता एक पेज से दूसरे पेज पर पूरी तरह से Random methods से नेविगेट करता है, और उसकी इस नेविगेशन प्रक्रिया को रैंकिंग के संदर्भ में मापा जाता है।

इसे एक सरल उदाहरण से समझते हैं:

मान लीजिए कि आप एक द्वीप पर हैं और आपके पास एक नक्शा है जिसमें कई द्वीप दिखाए गए हैं। आप एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर जाने के लिए एक नाव का इस्तेमाल करते हैं। हर द्वीप पर कई नावें खड़ी हैं जो आपको दूसरे द्वीपों पर ले जा सकती हैं। लेकिन आप यह नहीं जानते कि कौन सी नाव आपको किस द्वीप पर ले जाएगी। आप बस एक नाव चुनते हैं और उसमें बैठ जाते हैं।

यह ठीक वैसा ही है जैसे एक इंटरनेट यूज़र एक वेब पेज पर होता है। उस पेज पर कई लिंक्स होते हैं। यूज़र इनमें से किसी भी लिंक पर क्लिक कर सकता है, बिना यह जाने कि वह किस पेज पर पहुंचेगा।

रैंडम सर्फ़र मॉडल कैसे काम करता है:

  1. शुरुआत: मॉडल किसी एक वेब पेज से शुरू होता है।
  2. रैंडम चयन: पेज पर मौजूद किसी भी लिंक को रैंडमली चुना जाता है।
  3. अगला पेज: चुने गए लिंक पर क्लिक करके यूज़र उस पेज पर पहुंच जाता है।
  4. दोहराव: यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कि मॉडल एक स्थिर अवस्था पर नहीं पहुंच जाता।

स्थिर अवस्था क्या होती है? जब मॉडल कई बार चलाया जाता है, तो यह एक स्थिर अवस्था पर पहुंच जाता है। इस अवस्था में, प्रत्येक पेज पर पहुंचने की संभावना एक निश्चित संख्या होती है। इस संख्या को पेज का पेज रैंक कहा जाता है।

पेज रैंक और रैंडम सर्फ़र मॉडल पेज रैंक एल्गोरिथ्म इसी रैंडम सर्फ़र मॉडल पर आधारित है। जिन पेजों पर यूज़र अधिक बार जाता है, उनका पेज रैंक अधिक होता है। इसका मतलब है कि वे पेज अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

अब Damping Factor को समझते हैं। मान लीजिये अगर कुछ वेबसाइटें हैं जो एक ही विषय पर हैं और एक दूसरे को लिंक कर रहे हैं, इन्होने एक ग्रुप बना रखा है। और इनके अलावा हमारी वेबसाइटें भी एक ही विषय पर हैं, जिनमें से किसी को भी लिंक नहीं दिया जा रहा है। अब अगर गूगल इन दोनों ग्रुप्स की वेबसाइट्स को इसी रैंडम सर्फर मॉडल के आधार पर रैंक करेगा तो गलत होगा, क्योंकि इन दोनों के बीच प्रासंगिकता नहीं निकल पाएगा, इसलिए सही रैंकिंग स्कोर नहीं दे पाएगा।

इसलिए गूगल ने यहां एक नया कॉन्सेप्ट अपनाया – जिसको डंपिंग फैक्टर कहते हैं।

डंपिंग फैक्टर (Damping Factor) क्या है?

डंपिंग फैक्टर एक ऐसी अवधारणा है जिसका इस्तेमाल पेज रैंक एल्गोरिथ्म में किया जाता है। यह बताता है कि एक इंटरनेट यूजर कितनी बार एक पेज से दूसरे पेज पर रैंडमली जाता है और कितनी बार वह सीधे किसी अन्य पेज पर जाने का फैसला करता है।

मान लीजिए: आप एक पुस्तकालय में हैं। आप एक किताब उठाते हैं और उसमें दिए गए संदर्भों को देखकर दूसरी किताब ढूंढते हैं। लेकिन कभी-कभी, आप उस संदर्भ को छोड़कर सीधे किसी अन्य किताब को उठाने का फैसला कर सकते हैं।

  • डंपिंग फैक्टर: यह बताता है कि आप कितनी बार संदर्भों का पालन करते हैं और कितनी बार आप अपनी पसंद से कोई किताब उठाते हैं।
  • डंपिंग फैक्टर का मान: आमतौर पर, डंपिंग फैक्टर का मान 0.85 होता है। इसका मतलब है कि आप 85% बार संदर्भों का पालन करते हैं और 15% बार आप अपनी पसंद से कोई किताब उठाते हैं।

पेज रैंक और डंपिंग फैक्टर

  • पेज रैंक: यह बताता है कि एक वेब पेज कितना महत्वपूर्ण है।
  • डंपिंग फैक्टर और पेज रैंक: अगर एक पेज को बहुत से अन्य पेज लिंक करते हैं, तो उस पेज पर पहुंचने की संभावना अधिक होती है। इसीलिए उस पेज का पेज रैंक अधिक होगा।

उदाहरण:

मान लीजिए कि एक वेबसाइट A है। अगर बहुत सी अन्य वेबसाइटें वेबसाइट A को लिंक करती हैं, तो इसका मतलब है कि बहुत से लोग वेबसाइट A पर जा रहे हैं। इसलिए, वेबसाइट A का पेज रैंक अधिक होगा।

डंपिंग फैक्टर क्यों महत्वपूर्ण है?

सभी पेजों को महत्व: डंपिंग फैक्टर यह सुनिश्चित करता है कि हर पेज का पेज रैंक शून्य न हो, भले ही उस पेज पर कोई लिंक न आ रहा हो।

वास्तविकता: डंपिंग फैक्टर यह मानता है कि इंटरनेट यूजर हमेशा लिंक्स का पालन नहीं करते हैं, बल्कि कभी-कभी सीधे किसी अन्य पेज पर भी जा सकते हैं। यह मॉडल को और अधिक वास्तविक बनाता है।

लिंक एनालिसिस सिस्टम और पेज रैंक का उपयोग करने के फायदे

लिंक एनालिसिस सिस्टम और पेज रैंक का उपयोग करके आप अपनी वेबसाइट को कई तरह से बेहतर बना सकते हैं। आइए इन फायदों को और विस्तार से समझते हैं:

1. सर्च रिजल्ट्स में विजिबिलिटी बढ़ाना:

  • उच्च रैंकिंग: जब आपकी वेबसाइट को अन्य उच्च गुणवत्ता वाली वेबसाइट्स लिंक करती हैं, तो Google इसे एक संकेत के रूप में लेता है कि आपकी वेबसाइट महत्वपूर्ण और भरोसेमंद है। इससे आपकी वेबसाइट सर्च रिजल्ट्स में ऊपर आने की संभावना बढ़ जाती है।
  • ट्रैफ़िक बढ़ाना: जब आपकी वेबसाइट सर्च रिजल्ट्स में ऊपर होती है, तो अधिक लोग आपकी वेबसाइट पर आते हैं।

2. वेबसाइट पर ट्रैफ़िक बढ़ाना:

  • डायरेक्ट ट्रैफ़िक: जब कोई उपयोगकर्ता किसी अन्य वेबसाइट पर आपके लिंक पर क्लिक करता है और आपकी वेबसाइट पर आता है, तो यह डायरेक्ट ट्रैफ़िक होता है।
  • सर्च इंजन ट्रैफ़िक: जब आपकी वेबसाइट सर्च रिजल्ट्स में ऊपर होती है, तो लोग आपको सर्च इंजन के माध्यम से ढूंढते हैं।

3. वेबसाइट की विश्वसनीयता बढ़ाना:

  • विश्वसनीयता का संकेत: जब अन्य वेबसाइटें आपकी वेबसाइट को लिंक करती हैं, तो यह दर्शाता है कि वे आपकी सामग्री को मूल्यवान मानते हैं। इससे आपकी वेबसाइट की विश्वसनीयता बढ़ती है।
  • ब्रांड इमेज: एक विश्वसनीय वेबसाइट अधिक ग्राहकों को आकर्षित करती है।

उच्च-गुणवत्ता वाले लिंक बनाने के टिप्स

  • हाई-क्वालिटी वेबसाइट्स को टारगेट करें: उन वेबसाइट्स को ढूंढें जो आपके उद्योग में अच्छी तरह से स्थापित हैं और जिनका पेज रैंक उच्च है।
  • प्रासंगिक लिंक बनाएं: सुनिश्चित करें कि आपकी वेबसाइट और अन्य वेबसाइट के बीच एक मजबूत संबंध है। लिंक आपके कंटेंट के लिए प्रासंगिक होना चाहिए।
  • ऑर्गेनिक और नेचुरल लिंक: लिंक को प्राकृतिक तरीके से प्राप्त करने का प्रयास करें। स्पैमी तरीकों से लिंक बनाने से बचें।
  • स्पैमी वेबसाइट्स से बचें: उन वेबसाइट्स से लिंक बनाने से बचें जिनका कंटेंट कम गुणवत्ता वाला है या जो स्पैम से भरे हुए हैं।

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